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Barkatulla University में बड़ी गड़बड़ी का खुलासा, पेपर था गलत और स्टूडेंट्स को कर दिया फेल

4000 स्टूडेंट्स ने दी थी परीक्षा, सभी को कर दिया था फेल। पुनर्मूल्यांकन में खुली पोल आंसर नहीं बल्कि पेपर ही गलत था।

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भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में संचालित यूनिवर्सिटी बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी (Barkatulla University) में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। परीक्षा के फाइनल रिजल्ट में जिन 4000 स्टूडेंट्स को फेल कर दिया गया था, पुनर्मूल्यांकन में वे सभी 4000 स्टूडेंट पास हो गए। कारण जानकर हैरानी होती है। क्योंकि स्टूडेंट्स के उत्तर नहीं, बल्कि क्वेश्चन पेपर ही गलत था।

कोई नहीं था सहमत, किया विरोध प्रदर्शन
दरअसल बरकतुल्ला यूनिवर्सिटी (Barkatulla University) द्वारा इस साल बीए, बीसीए फस्र्ट ईयर की फाउंडेशन कोर्स (एफसी) के दूसरे क्वेश्चन पेपर के अंतर्गत योग विषय की ओएमआर बेस्ड परीक्षा ली गई थी। इसमें 50 ऑब्जेक्टिव टाइप क्वेश्चन पूछे गए थे। इन परीक्षाओं का रिजल्ट चौंकाने वाला था। क्यों कि इस परीक्षा में शामिल सभी 4000 स्टूडेंट्स को फेल घोषित किया गया था। स्टूडेंट्स, उनके पेरेंट्स, छात्र संगठन यहां तक कि कॉलेज के प्रोफेसर (Barkatulla University) भी रिजल्ट से सहमत नहीं थे। छात्र संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया।

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दबाव के बाद हुआ पुनर्मूल्यांकन
बड़ा दबाव बनाने के बाद बरकतउल्लाह यूनिवर्सिटी (Barkatulla University) मैनेजमेंट पुनर्मूल्यांकन के लिए तैयार हुआ। जब पुनर्मूल्यांकन के लिए क्वेश्चनल पेपर और कॉपियां चेक की गईं, तो बड़ी लापरवाही और गड़बड़ी सामने आई। पता चला कि स्टूडेंट्स ने गलत उत्तर नहीं दिए थे बल्कि, क्वेश्चन पेपर ही गलत था। इसके आधार पर सभी को बोनस नंबर मिले और सभी 4000 स्टूडेंट को पास किया गया।

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अब प्रिंटिंग एजेंसी को ठहरा रहे जिम्मेदार
अपनी नौकरी बचाने के लिए यूनिवर्सिटी (Barkatulla University) वाले (प्रो. विनय श्रीवास्तव, परीक्षा नियंत्रक, बीयू) इस गलती के लिए पेपर की प्रिंटिंग एजेंसी को जिम्मेदार बता रहे हैं। जबकि प्रिंट होने के बाद पेपर की जांच करना यूनिवर्सिटी वालों की ही जिम्मेदारी है। यूनिवर्सिटी के लिए परीक्षा सबसे संवेदनशील विषय होता है। कोई भी बाहरी एजेंसी किसी भी काम के लिए फाइनली रिस्पांसिबल नहीं होती। रिस्पांसिबिलिटी हमेशा यूनिवर्सिटी (Barkatulla University) की होती है। यहां आपको बता दें कि यहां प्रिंटिंग एजेंसी को टारगेट बनाकर परीक्षा नियंत्रक अपने खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई से खुद को बचाने की कोशिश जरूर करते दिख रहे हैं।