इस हड़ताल की हकीकत यह है कि कर्मचारियों ने तालाबंदी कर छात्रों से जुड़ी सुविधाएं ठप कर रखी हैं। इनकी परीक्षा व रिजल्ट तो अटके ही हैं, साथ ही डिग्री, माइग्रेशन जैसे दस्तावेज नहीं मिल पा रहे हैं। यहां तक कि उनके पीएचडी वायवा भी नहीं हो पा रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि उनकी समस्याओं को भी सही से सुना नहीं जा रहा है।
नहीं निकाली कोई सूचना कुलपति बंगले और गेस्ट हाउस से कार्रवाई करने से छात्र सहित कई शिक्षकों को भी जानकारी नहीं है, क्योंकि इसकी कोई सूचना भी नहीं निकाली गई। रजिस्ट्रार, परीक्षा नियंत्रक पहुंचे बंगले पर बीयू के रजिस्ट्रार डॉ. यूएन शुक्ल, परीक्षा नियंत्रक प्रो. अशोक मुंजाल, डिप्टी रजिस्ट्रार यशवंत, समाजशास्त्र डिपार्टमेंट की प्रोफेसर डॉ. रुचि घोष आदि को भी कुलपति बंगले पर जाना पड़ा।
कुलपति प्रो. वर्मा ने यूजीसी से मिले अनुदान से संचालित राजीव गांधी चेयर में शोध कार्य के लिए कार्यरत मनीश मिश्रा को भी विशेष रूप से अपने पास अटैच कर रखा है। इसलिए वे फाइलों को इधर से उधर करते दिखे। इस संबंध में कुलपति प्रो. वर्मा से उनके बंगले पर चर्चा करने की कोशिश की गई। एसएसएस भी किया। लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
कर्मचारी काम नहीं कर रहे हैं, इसलिए यह स्थिति निर्मित हुई है। कुछ जरूरी कार्य थे, इसलिए कुलपति निवास पर जाना पड़ा। सभी अधिकारी प्रशासनिक भवन ही आ रहे हैं, वहीं दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नोटिस दिया गया है कि वे काम पर तत्काल प्रभाव से लौटे नहीं तो उनका वेतन रोका जाएगा।
– डॉ. यूएन शुक्ल, रजिस्ट्रार बीयू
हम किसी को विवि में प्रवेश नहीं करने दे रहे हैं। यह काम कैसे हो रहे हैं इसकी जानकारी मेरे पास नहीं है। हम किसी भी रूप में प्रशासन का सहयोग नहीं कर रहे हैं। मांगें जब तक नहीं होंगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
– लखन परमार, प्रांतीय महासचिव कर्मचारी महासंघ