संगठन में अब विधायकों का दखल बढ़ जाएगा। विधायकों ने संगठन और सरकार के मुखिया कमलनाथ के सामने ये आपत्तियां दर्ज कराई थीं कि जिले से जुड़े संगठनात्मक फैसलों में उनकी राय नहीं ली गई, ब्लॉक से लेकर सेक्टर, मंडलम तक के कार्यकर्ताओं की नियुक्तियों में उनको तवज्जो नहीं मिली।
विधायकों ने खुद की पूछ-परख न होने की भी शिकायत की। संगठन अब विधायकों की ये शिकायत दूर करने जा रहा है। जिले के फैसलों में अब विधायकों की राय अहम मानी जाएगी।
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अब उनसे रायशुमारी कर ही आगामी नियुक्तियां की जाएंगी। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मंशा के अनुसार अब बड़े नेताओं की सिफारिशों के आधार पर संगठन के फैसले नहीं होंगे।
विधायकों से सलाह-मशवरा करेगा संगठन :
संगठन अब अपने नियुक्ति के फॉर्मूले में बदलाव करने जा रहा है। जिले से ब्लॉक,मंडलम और सेक्टर समितियों में अब विधायकों से पूछकर कार्यकर्ता तैनात किए जाएंगे।
विधायकों से जिले में सक्रियता और पार्टी के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के आधार पर कार्यकर्ताओं की सूची मांगी जाएगी। विधायकों की सहमति उनकी प्रमाणिकता मानी जाएगी।
विधायक अपने समर्थकों को भी यहां नियुक्त करवा सकते हैं। विधायकों की सिफारिश के आधार पर उसके जिले में या विधानसभा क्षेत्र में संगठनात्मक नियुक्तियां होंगी।
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संगठन अपनी ओर से जो नियुक्तियां करना चाहता है उनके नाम पर भी विधायक से चर्चा करनी पड़ेगी। संगठन जिले में सामाजिक और राजनीतिक समीकरण साधने के लिए अपनी तरफ से भी नाम दे सकता है।
सिफारिशी नियुक्तियों पर रोक :
विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक 1200 से ज्यादा सिफारिशी नियुक्तियां हो चुकी हैं। कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं ने अपने-अपने समर्थकों को पद दिलाकर संगठन में एडजस्ट कर दिया था।
अब सिफारिशी नियुक्तियों पर पूरी तरह से पाबंदी लगाई जा रही है। चुनाव में निष्क्रिय रहे नेताओं के समर्थकों को संगठन से बाहर का रास्ता दिखा जाएगा। संगठन निष्क्रिय पदाधिकारियों की सूची भी तैयार कर रहा है।
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सर्वे नहीं विधायकों की राय से मिलेंगे टिकट :
विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पार्टी ने सर्वे को महत्ता दी और सर्वे के आधार पर ही उम्मीदवारों के चयन का दावा किया गया।
विधानसभा चुनाव में इस फॉर्मूले ने काम किया और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन गई लेकिन लोकसभा चुनाव में ये फॉर्मूला फ्लॉप हो गया। आने वाले समय में स्थानीय निकायों के चुनाव होने हैं जिसमें सर्वे की बहुत ज्यादा आवश्यकता नहीं है।
इन चुनावों में उम्मीदवार तय करते समय विधायकों से राय ली जाएगी। विधायकों से अपने क्षेत्र के जिताउ उम्मीदवारों के नाम भी मांगे जाएंगे ताकि स्वीकार्यता के आधार पर उनकी जीत सुनिश्चित की जा सके।
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सरकार में मिलेगी तवज्जो :
सरकार ने भी विधायकों को ज्यादा अधिकार संपन्न बनाने की तैयारी कर ली है। जिला सरकार के माध्यम से विधायकों की सरकार में पूरी सुनवाई होगी।
प्रभारी मंत्री जिले में मुख्यमंत्री के तौर पर काम करेंगे। प्रभारी मंत्रियों को जिले के विकास कार्य और ट्रांसफर-पोस्टिंग के सारे अधिकार दिए जाएंगे ताकि विधायकों के मुताबिक उनके जिले में अधिकारी की पदस्थापना की जा सके।
कांग्रेस में फैसले लोकतांत्रिक तरीके से होते रहे हैं। आगे जो नियुक्तियां की जाएंगी उनमें ये खास ध्यान रखा जाएगा कि उस क्षेत्र के विधायकों की उनमें सहमति हो। संगठन,सरकार और जनप्रतिनिधि मिलकर मेहनत और मजबूती से जनता के लिए काम करेंगे।
– राजीव सिंह, महामंत्री,संगठन,कांग्रेस