ये है मामला…
दरअसल बहुजन संघर्ष दल के अध्यक्ष फूलसिंह बरैया साथियों समेत कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ के सामने सदस्यता ग्रहण की। पूर्व सांसद बरैया बसपा के बड़े नेताओं में शुमार रहे हैं। बरैया ने बसपा छोड़कर बहुजन संघर्ष दल का गठन किया था।
बरैया के शामिल होने से कांग्रेस की ग्वालियर-चंबल इलाके में ताकत बढ़ी है। बरैया ने कहा कि वे कांग्रेस में शामिल होकर मुख्यमंत्री कमलनाथ के विकास के विजन के तहत काम करना चाहते हैं।
ये हैं चिंता के कारण…
दरअसल एट्रोसिटी एक्ट के समय भी ग्वालियर चंबल संभाग में दलितों व सवर्णों का एक बड़ा विवाद सामने आया था। माना जा रहा है ऐसे में एक विशेष वर्ग को अपने समर्थन में लाकर अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस की ओर से ये दांव खेला गया है।
आपको बता दें बरैया ग्वालियर क्षेत्र के बडत्रे नेताओं में शुमार हैं, जानकारों की माने तो उनके बसपा छोड़ने से इस क्षेत्र में उन्हें कम जबकि बसपा को ही ज्यादा नुकसान का सामना करना पड़ा।
बरैया होंगे प्रत्याशी!…
कुछ जानकारों का तो यहां तक मानना है कि कांग्रेस ग्वालियर से बरैया को चुनाव में खड़ा कर सकती है। जिसके इस क्षेत्र की राजनीति में सीधे और तेज असर की संभावना है।
दरअसल बरैया पूर्व में भी कई चुनावों में खड़े हो चुके हैं। ऐसे में कई बार तो वह तीसरे नंबर की स्थिति में भी रह चुके हैं। अब जबकि ग्वालियर को लेकर भी कांग्रेस काफी सक्रिय है तो ऐसे में अपनी ओर से जहां कांग्रेस बरैया को प्रत्याशी बना कर भाजपा को परेशानी में डाल सकती है। वहीं बसपा को काफी नुकसान पहुंचा सकती है।
दरअसल सूत्रों के अनुसार कांग्रेस का ये मानना है कि ग्वालियर में सिंधिया की अनुपस्थिति में भाजपा व कांग्रेस की टक्कर काफी कड़ी हो जाती है। वहीं बरैया का भी अपना राजनैतिक स्तर है, जिसके चलते वे भी वोटों को प्रभावित करते हैं। ऐसे में यदि बरैया कांग्रेस की ओर आते हैं तो कांग्रेस को भाजपा पर जीत दर्ज करने में काफी आसानी होगी।
राजनीति के जानकार डीके शर्मा के अनुसार यदि कांग्रेस ग्वालियर से बरैया को अपना प्रत्याशी बना कर खड़ा करती है। तो उसका वोट बैंक तो उसे वोट देगा ही साथ ही बरैया का अपना वोट बैंक भी उनकी ओर मुड़ जाएगा, जिससे चुनाव में जीत की आशा ओर मजबूत हो जाएगी।
भाजपा व बसपा की तोड़…
ग्वालियर विधानसभा के मामले में भाजपा का काफी मजबूत गढ़ माना जाता रहा है। लेकिन लोकसभा में सिंधिया परिवार के किसी प्रत्याशी के नहीं होने से यहां हमेशा कांग्रेस व भाजपा के बीच कड़ी टक्कर की स्थिति पैदा हो जाती है।
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वहीं इन चुनावों को बसपा व फूलसिंह बरैया की पार्टी भी काफी तगड़े तरीके से प्रभावित करती है। ऐसे में कांग्रेस ने फूलसिंह बरैया को अपनी ओर लाकर वोटों का बहाव अपनी ओर बढ़ा लिया है। जिसके चलते जहां एक ओर भाजपा के लिए मुश्किलें बड़ गई हैं, वहीं बसपा के लिए स्थिति और ज्यादा दयनीय होती दिख रहीं हैं।
बरैया का राजनैतिक इतिहास…
करीब 19 साल पहले बसपा को मध्य प्रदेश में सत्ता में लाने के लिए अभियान चला रहे बरैया, अचानक बसपा प्रमुख मायावती की आंख की किरकिरी बन गए थे।
उत्तर प्रदेश में भाजपा से मात खाई माया मध्य प्रदेश में कांग्रेस के साथ मिलकर भाजपा को सबक सिखाने की योजना बनाई थी। इस गोपनीय मिशन में बरैया आड़े आ रहे थे। मायावती ने पहले उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया और फिर हाशिए पर पहुंचा दिया।
बसपा नेतृत्व ने फूल सिंह बरैया पर पार्टी के जरूरी कागजात चोरी करने का आरोप लगाया। पुलिस ने उनके घर पर छापा मारा। उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। इसी वजह से वह कुछ दिन भूमिगत भी रहे।
इसके बाद 2003 में उन्होंने अपनी खुद की पार्टी को लांच किया, इस समय बरैया ने मायावती की भाषा तो नहीं बोली, लेकिन यहां उन्होंने मायावती और दिग्विजय के बीच सांठगांठ की बात जोर देकर कही।
उन्होंने कहा था कि मुझे जान का खतरा है। जिस तरह आनन-फानन में मेरे खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए हैं उससे यह साफ है कि राज्य सरकार का क्या इरादा है।
दिग्विजय पर आरोप…
भूमिगत होने के बाद सामने आए बरैया ने कहा था कि दिग्विजय सिंह और मायावती ने मेरे क्षेत्र में गुंडे भेजे हैं जो मेरे समर्थकों को धमका रहे हैं। सरकारी सूत्रों ने भी मुझे बताया है कि मेरी जान को खतरा हो सकता है। इसीलिए मैं पिछले पांच दिन से भूमिगत था।
दलित नेता ने कहा कि जो पुलिस नाबालिग लड़कियों पर बलात्कार के मामले दर्ज नहीं करती उसने मेरे खिलाफ तत्काल मामला दर्ज करके यह साबित कर दिया है कि वह किस तरह काम करती है।
मायावती पर लगाए थे ये आरोप…
कांशीराम को अपना आदर्श और मायावती को बहन मानने वाले बरैया ने मायावती पर आरोप लगाया था कि उन्होंने मध्य प्रदेश में दलितों के हित का कोई कदम नहीं उठाया।
मुझे इसलिए निकाला क्योंकि मैं उनके रास्ते में रोड़ा बन रहा था। यही नहीं दिल्ली में मुझे दस घंटे तक अपमानित किया गया। अपनी पार्टी लॉच के दौरान उन्होंने कहा था कि जिस प्रदेश की खाक मैं तीन साल से छान रहा था, उसके लिए प्रत्याशी तय करते समय मुझे पूछा तक नहीं गया।
यह सब कांग्रेस के साथ समझौते की बात के कारण किया गया। इसका संकेत मायावती ने भोपाल की रैली में ही दे दिया था। लेकिन फिर भी मैं चप रहा और अपमान सहा।
आरोपों को बताया था बेबुनियाद…
बसपा नेतृत्व द्वारा उनपर लगाए जा रहे आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए उन्होंने कहा कि बरैया चोर या डाकू नहीं है। वह कागज नहीं चुराता। चूंकि मेरी वजह से उनके मंसूबे पूरे नहीं हो रहे हैं इसलिए वह मुझे रास्ते से हटा सकते हैं। लेकिन अब मुझे जान की परवाह नहीं है।
चुनाव में किसी दल के साथ समझौते के सवाल पर उन्होंने कहा था कि हम अकेले लड़ेंगे। क्योंकि कांग्रेस अगर सांपनाथ है तो भाजपा नागनाथ। हम तो स्वयं ‘नेवला नाथ’ बन कर रहना चाहते हैं।
इस दौरान फूल सिंह बरैया समता समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं। वहीं बसपा के पूर्व अध्यक्ष संत कुमार उपाध्यक्ष और सुनील बोरसे महासचिव बनाए गए थे।
इधर, भाजपाई चले भी कांग्रेस के पास!…
ऐसा नहीं है कि कांग्रेस ने केवल एक मजबूत नेता को ही अपने साथ जोड़ा हो, बल्कि कांग्रेस ने तो चुनाव से ठीक पहले भाजपा में तक सेंध लगानी शुरू कर दी है।
इसी के चलते मुरैना के महापौर और पांच बार के सांसद रहे अशोक अर्गल भी शुक्रवार को कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी उन्हें सदस्यता दिलाएंगे। उन्हें भिंड या मुरैना से चुना लड़ा सकते हैं।
जानकारों के अनुसार शहडोल सांसद ज्ञानसिंह के बगावत कर चुनाव लडऩे की घोषणा के बाद भाजपा को यह दूसरा झटका है। अर्गल ने पत्रिका से कहा, मैं भाजपा में एक मिनट नहीं रुकना चाहता हूं।
कांग्रेस ने उन्हें मुरैना से नरेंद्र सिंह तोमर के खिलाफ उतारा तो वे टक्कर देने को तैयार हैं। अर्गल को कांग्रेस में जाने से रोकने के लिए प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने फोन पर बात की। संगठन महामंत्री रामलाल ने भी मनाने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी।
आरडी प्रजापति को मनाने विधायक बेटे पर दबाव
टीकमगढ़ से भाजपा प्रत्याशी वीरेंद्र कुमार खटीक के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले पूर्व विधायक आरडी प्रजापति को मनाने नेताओं ने उनके बेटे विधायक राजेश प्रजापति पर दबाव बनाया है। आरडी ने बयानबाजी नहीं रोकी तो उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है।
वहीं अनूप बोले: मुझसे हुआ संपर्क, लेकिन पार्टी नहीं छोड़ूंगा…
मुरैना सांसद अनूप मिश्रा का कहना है कि उनके भाजपा छोड़ कांग्रेस में जाने की खबरें झूठी हैं। उन्होंने कहा, कांग्रेस के कुछ लोगों ने मुझसे संपर्क किया है, लेकिन मैं कभी भी भाजपा नहीं छोड़ूंगा। भाजपा मेरे लिए मां समान है, मैं कार्यकर्ता की हैसियत से काम करता रहूंगा।