माइग्रेट होकर आने की संभावना
रातापानी के रेंज फारेस्ट ऑफीसर कार्तिकेय शुक्ला ने बताया कि ब्लैक्सिटन फिश आउल रातापानी के जंगलों में बीते सप्ताह रात करीब साढ़े आठ बजे देखा गया। गिद्ध की तरह दिखने वाले इस पक्षी की सूचना थी। दल ने इसके फोटो लिए थे। जानकारी ली तो पता लगा यह दुनिया का सबसे बड़ा उल्लू है।प्रवासी पक्षियों की पसंद है मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश प्रवासी पक्षियों के पसंदीदा स्थानों में से एक है। यही कारण है कि यहां रूस, साइबेरिया, उज्बेकिस्तान, चीन और आर्कटिका के ठंडे स्थानों में रहने वाले पक्षी करीब 12 हजार किमी का सफर तय कर आते हैं। यूरोप से यूरेशियन वेगान तो रूस और मंगोलिया से ब्लैक रेड स्टार्ट और लैसर वाइट थ्रोट जैसे बड्र्स आते हैं।टाइगर से भी कम बची है आबादी
दुनिया के सबसे बड़े उल्लू खतरे में है। इनकी आबादी टाइगर्स से भी कम हो गई है। इस प्रजाति को बचाने के लिए साइंटिस्ट अब प्रयास करने में जुटे हैं। इसका पंख फैलने पर 6 फीट चौड़ा हो जाता है। रूस के सुदूर पूर्वी इलाके और एशिया के कुछ क्षेत्रों में मिलने वाले इस उल्लू का प्राकृतिक निवास खत्म हो रहा है।एक नजर : ब्लैक्सिटन फिश आउल
आमतौर पर रूस, जापान और एशिया में पाया जाता है।इसका निवास राइपेरियन जंगल, पुराने पेड़, झील के किनारे, नदी या झरने के आसपास होता है।
मानवीय गतिविधियों के कारण इनका स्थान छिन रहा है।
नर उल्लू का वजन 3.6 किलो तक होता है।
मादा उल्लू का वजन 4.6 किलो तक हो सकता है।
मादा 25 फीसदी ज्यादा बड़ी होती है। सर्दियों में वजन कम हो जाता है।
इनकी लंबाई 24 से 28 इंच होती है।