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भोपाल

मायावती ने राहुल को दिया बड़ा झटका, गठबंधन नहीं करने से बीजेपी को हो सकता है 41 सीटों पर फायदा

बसपा ने मध्यप्रदेश में अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने का एलान किया है।

भोपालSep 21, 2018 / 12:08 pm

shailendra tiwari

Rahul Gandhi

15 फीसदी दलितों के लिए मायावती ने राहुल को दिया बड़ा झटका, साथ लड़ने से बीजेपी को 41 सीटों पर हो सकता था नुकसान

भोपाल. बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। मायावती ने मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पहली सूची जारी कर दी है, जबकि छत्तीसगढ़ में उसने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के साथ गठबंधन किया है। मायावती के इस फैसले से कहीं ना कहीं कांग्रेस के उस तैयारी पर बड़ा झटका लगा है जिसमें कांग्रेस ने कहा था कि आगामी लोकसभा चुनाव में सारे विपक्षी दल एक होकर मोदी को खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। लेकिन मायावती के इस फैसले से मध्यप्रदेश भाजपा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बड़ी राहत मिल सकती है।
कमलनाथ को हाथ लगी निराशा
मध्‍य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने हाल ही में कहा था कि जल्द ही हम बसपा के साथ गठबंधन कर लेंगे। लेकिन मायावती ने उनके उम्‍मीदों के खिलाफ बिना गठबंधन चुनाव मैदान में उतरकर कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। कमलनाथ मायावती के साथ गठजोड़ करने में कामयाब नहीं हो सके। अगर दोनों दल गठजोड़ करके लड़ते तो बीजेपी के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती थी, क्‍योंकि इस बार शिवराज सरकार के खिलाफ एंटी इनकमबैंसी २०१३ के विधानसभा चुनावों की तुलना में कहीं ज्‍यादा है और एससी-एसटी एक्ट में किए गए संशोधन से सवर्ण भाजपा से नाराज है और लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहा है। ऐसे में बसपा से गठबंधन कांग्रेस के लिए फायदेमंद हो सकता था।
कुछ इलाकों में बसपा लंबे समय से मजबूत
मध्यप्रदेश में मुख्यत: भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला रहता है लेकिन कई सीटों में बसपा लड़ाई में रहती है। 2013 के विधानसभा चुनावों में बसपा ने 6.4 प्रतिशत वोट के साथ 4 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि कई सीटों पर वह दूसरे नंबर पर थी। अगर 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और बसपा के वोटों को एक कर दिया जाए तो करीब 16 ऐसी विधानसभा सीटें हैं जहां भाजपा की हार हो सकती है, जबकि 2013 में इन सभी सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी।
मध्यप्रदेश में दलितों की आबादी १५ फीसदी
बसपा मध्‍य प्रदेश में उत्तर प्रदेशकी सीमा से लगे जिलों में मजबूत स्थिति के रहती है। एमपी में 15 प्रतिशत दलितों की मौजूदगी है जो मायावती के लिए सबसे बड़ा फैक्टर है। राज्‍य के करीब 22 जिलों की ४० विधानसभा सीटों पर बसपा का खास प्रभाव है। अकेले चुनाव लड़ने से मध्‍य प्रदेश में बसपा के साथ-साथ कांग्रेस को ज्यादा नुकसान होगा।
बसपा ने हर बार बिगड़ा कांग्रेस का खेल
2003 मध्‍य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 38 सीटें मिलीं थी जबकि बसपा को केवल 2 सीटें। लेकिन कांग्रेस 25 सीटों पर बसपा उम्मीदवार से हारी। 2008 के चुनाव में कांग्रेस को 71 सीटों पर जीत दर्ज मिली थी। इस चुनाव में बसपा ने कांग्रेस को करीब 39 सीटों पर झटका दिया था। 2013 के चुनाव में भी बसपा ने कांग्रेस को ही झटका दिया। 2013 में हुए विधानसभा चुनाव के मुताबाकि करीब ४१ ऐसी सीटें थे जहां पर गठबंधन होने से भाजपा हार सकती थी। इस बार के विधानसभा चुनाव में भी बसपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन नहीं होने से भाजपा को फायदा हो सकता है। क्योंकि प्रदेश में ४० सीटों का सीधा असर है और २०१३ के विधानसभा चुनावों के अनुसार करीब १६ ऐसी सीटें हैं जहां बसपा और कांग्रेस के वोट को एक करके देखा जाए तो भाजपा वहां चुनाव हार रही है।

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