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ग्रीन फ्लोरोसेंट फिल्टर से 10 रुपये में कैंसर की पहचान, अभी लगते हैं 50 हजार

बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी का शोध, शरीर में कहां कैंसर कोशिकाएं और किस ओर बढ़ रहीं, लगाया जाएगा पता, मिला पेटेंट

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कैंसर के मरीजों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। महिलाओं और पुरूषों में अलग-अलग प्रकार के कैंसर के मामले देखे जा रहे हैं। कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में हर महीने औसतन 3 हजार से अधिक मरीजों की मौत कैंसर हो रही है। वहीं देश में 2022 में कैंसर से 808558 लोगों की मौत हो चुकी है। इस एक कारण सही स्टेज में कैंसर का पता न चलना और उसकी सही तरह से टै्रकिंग न होने भी है।
लेकिन अब यह संभव हो सकेगा। वह भी काफी कम खर्च में। बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी (बीयू) में हुई एक रिचर्स से अब यह पता लगाना आसान हो गया है कि कैंसर कोशिका के किस स्तर पर मौजूद है और उसकी वर्तमान स्थिति क्या है और वह शरीर के किस हिस्से की ओर मूब कर रहा है।
-कोशिकाओं में विशिष्ट प्रोटीन को चिह्नित करने में मिलेगी मदद
दरअसल यूनिवर्सिटी के बायोकेमिस्ट्री और जेनेटिक्स विभाग के शोधार्थियों को बेहद कम लागत वाला ग्रीन फ्लोरेसेंट फिल्टर तैयार करने में सफलता मिली है। यह फिल्टर कोशिकाओं में विशिष्ट प्रोटीन को चिह्नित करने में मददगार है। इसके अलावा इसकी मदद से कैंसर, अनुवांशिक रोग, जीवाणुओं व विषाणुओं के संक्रमण फैलाने वाली कोशिका का पता लगाना भी संभव होगा।
शोध को मिला पेटेंट
बीयू के बायोकेमिस्ट्री और जेनेटिक्स विभाग ने यह फिल्टर तैयार किया है। विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. रेखा खंडिया के निर्देशन में बीयू के पीएचडी विद्यार्थी उत्संग कुमार व शैलजा सिंघल के इस अहम शोध को पेटेंट भी मिल चुका है।
शोधार्थियों के अनुसार, इस तकनीक में हरे रंग का उपयोग कोशिका में विशिष्ट प्रोटीन का उत्पादन दर्शाने के लिए किया जाता है।

इसलिए कम है कीमत
इस फिल्टर की लागत काफी कम है। प्रोफेसर डॉ. रेखा खंडिया ने बताया कि वैसे तो बाजार में भी फ्लोरेसेंट फिल्टर उपलब्ध है। लेकिन इनकी कीमत करीब 45 से 50 हजार रुपए तक हैं। जबकि यह नया फिल्टर मात्र 10 रुपए में उपलब्ध होगा।
जिलेटिन से किया तैयार
मार्केट के वर्तमान में जो फिल्टर उपलब्ध हैं वह क्वाट्र्ज से बनते हैं जोकि काफी महंगा होता है। बीयू में नया फिल्टर जिलेटिन शीट से बनाया गया है जो एक प्रकार का पालीमर है और कम कीमत में उपलब्ध है।