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भोपाल

लोकसभा चुनावों में हार के बाद अब कांग्रेस के इस मॉडल पर उठे सवाल

दीपक बावरिया के मंडलम मॉडल पर उठे सवाल, लोकसभा प्रभारियों ने माना कागज में ही काम कर रहा था निचला संगठन
– लोकसभा हार के बाद संगठन पर तकरार
 

भोपालJun 03, 2019 / 11:28 pm

दीपेश तिवारी

MP congress in problem

लोकसभा के प्रभारी

भोपाल@अरुण तिवारी की रिपोर्ट…

लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद से ही कांग्रेस में भरी उठापटक की स्थिति बनी हुई है। एक ओर जहां अब तक उंचे पदों पर बैठे नेताओं के बीच अजीब से तनाव बना हुआ है, वहीं अब कांग्रेस के निचले संगठन पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं।

दरअसल चुनाव के पहले लोकसभा प्रभारी बनाए गए नेताओं ने प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया के मंडलम मॉडल पर कई सवाल खड़े किए गए हैं। लोकसभा प्रभारी मानते हैं कि बावरिया ने संगठन को मजबूत करने के लिए मंडलम का गठन तो किया लेकिन ये मंडलम सिर्फ कागज में ही काम करता रहा।

ऐसे में या तो यहां पर सिफारिशी कार्यकर्ताओं को तैनात कर दिया गया या फिर वे कार्यकर्ता आ गए जिनको काम से नहीं पद से मतलब था। अब लोकसभा प्रभारी अपनी-अपनी सीट को लेकर रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। इन रिपोर्ट को प्रदेश संगठन को सौंपा जाएगा।

Deepak Bavaria

पुराने पैटर्न पर ही चले कांग्रेस :
वहीं दमोह लोकसभा के प्रभारी बृजेंद्र मिश्रा कहते हैं कि मंडलम मॉडल बिल्कुल फ्लॉप साबित हुआ है। यदि यहां पर कांग्रेस के कर्मठ कार्यकर्ताओं को तैनात किया होता तो कुछ बेहतर नतीजे आते।

उनके अनुसार कई जगह तो भाजपा के कार्यकर्ताओं को तैनात कर दिया गया। मिश्रा का कहना है कि जिला और ब्लॉक स्तर पर काम करने वाली निचली इकाई संगठन की रीढ़ मानी जाती है लेकिन वही कागजों पर काम करती रही।

जिलों में न एनएसयूआई जैसे छात्र संगठन का प्रभाव रह गया है और न ही युवक कांग्रेस का कोई असर है। संगठन को फिर खड़ा करने के लिए कांग्रेस को पुराने पैटर्न पर काम करना होगा।

 

 

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ऐसे में जनता के बीच से निकलकर सामने आ रहे युवाओं को युवक कांग्रेस के जरिए काम करने का मौका देना चाहिए। मिश्रा ने कहा कि संगठन में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है। जिला कमेटियों को भी सशक्त बनाने की बेहद जरुरत है।

 

अभी से दे दिए जाएं टिकट :
जबकि सागर के लोकसभा प्रभारी चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी कहते हैं कि कांग्रेस का ये सबसे बुरा दौर चल रहा है, इसे फिर से खड़ा करने के लिए नए चेहरों और युवाओं की जरुरत है।

विधानसभा चुनाव जीतकर प्रदेश में तो हमने सरकार बना ली लेकिन लोकसभा चुनाव में हम कई चूक कर बैठे। द्विवेदी कहते हैं कि कांग्रेस को पांच साल बाद होने वाले चुनाव की अभी से तैयारी शुरु कर देनी चाहिए।

 

 

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अभी से उन लोगों को बता दिया जाए जिनको टिकट दिया जाएगा, ऐसे में वे अभी से लोगों के बीच विश्वास पैदा करने की कोशिश में जुट जाएंगे, उनका ये भी माना है कि भले ही ये राजनीतिक तौर पर व्यवहारिक नहीं माना जा सकता, लेकिन इस तरह का कुछ न कुछ प्रयोग तो करना पड़ेगा। द्विवेदी ने कहा कि वे जल्द ही अपनी रिपोर्ट तैयार कर संगठन को सौंपेंगे।

 

बेईमानी से जीता गया चुनाव :
वहीं दूसरी ओर इससे अलग टीकमगढ़ सीट के लोकसभा प्रभारी नारायण प्रजापति कहते हैं कि ये चुनाव बेईमानी से जीता गया। भाजपा ने झूठ बोलकर चुनाव जीता है।

माना संगठनात्मक कमियां भी रही हैं लेकिन अंतर इतना ज्यादा रहा कि इवीएम पर संदेह जाता है। नए सिरे से संगठन बनाने की जरुरत है। उन युवाओं को मौका दिया जाए जो काम करें और जो पार्टी की रीति-नीति पर काम कर सकें। पार्टी हमारी गंभीर चिंतन कर रही है और आगे बड़ा बदलाव होगा।

 

 

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इधर उपभोक्ता कांग्रेस के दतिया जिलाध्यक्ष रवि वंशकार का कहना है कि बड़े नेता छोटे कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करते हैं, जब तक वे नहीं सुधरेंगे कांग्रेस का भला नहीं हो सकता। रवि ने कहा कि अगर इन नेताओं ने अपनी कार्यप्रणाली नहीं बदली तो वे खुद कार्यकर्ताओं के साथ धरने पर बैठ जाएंगे।

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