कोरोना संक्रमण के कम होते ही स्वास्थ्य विभाग भी निष्क्रिय होता जा रहा है। कोविड-19 को रोकने के लिए जितने प्रयास पहले किए जा रहे थे, अब उनमें उतनी ही लापरवाही शुरू हो गई है। इसकी सबसे बड़ी बानगी देखने को मिल रही है टेस्टिंग से जुड़ी प्रक्रिया में। जहां एक व्यक्ति को सैंपल दिए आठ दिन से ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन अभी तक उसकी जांच रिपोर्ट नहीं आई है।
जानकारी अनुसार एक महिला ने 29 सिंतबर को भेल के कस्तूरबा अस्पताल में कोरोना टेस्ट का सैंपल दिया, जिसका आरटीपीसीआर नंबर. 233961076548 महिला को मोबाइल पर मैसेज के माध्यम से प्राप्त हुआ। इसके बाद महिला ने दो दिन रिपोर्ट का इंतजार किया, लेकिन रिपोर्ट नहीं आई। फिर महिला के पति जेपी अस्पताल गए, लेकिन वहां भी रिपोर्ट नहीं मिली। महिला के पति ने गोविंदपुरा स्थित कोरोना कंट्रोल रूम में भी संपर्क किया, वहां से भी निराशा हाथ लगी। थक हार कर जब महिला के पति ने सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज कराना चाही तो वहां से इस तरह की शिकायत दर्ज नहीं होने की बात कही गई।
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डिस्पेंसरी पर सुविधा बंद
कोरोना की दूसरी लहर में सरकार ने टेस्टिंग पर सबसे ज्यादा फोकस किया था। सभी अस्पताल और डिस्पेंसरी के अलावा मोबाइल वैन और शिविर में जांच की जा रही थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। देवकीनंदर सोनी ने बताया कि वह अपनी पत्नी को लेकर पहले नजदीकी डिस्पेंसरी में गए थे, लेकिन वहां जांच के लिए मना कर दिया गया। इसके बाद वह कस्तूरबा अस्पताल पहुंचे। शिकायतकर्ता ने बताया कि हेल्पलाइन नंबर 104 पर कॉल किया था, लेकिन जानकारी नहीं दी गई। प्रतिनिधि ने ही डिस्पेंसरी पर सुबह 9 से शाम पांच बजे तक कोरोना जांच होने की बात कही थी, जो कि गलत निकली।
डिस्पेंसरी पर सुविधा बंद
कोरोना की दूसरी लहर में सरकार ने टेस्टिंग पर सबसे ज्यादा फोकस किया था। सभी अस्पताल और डिस्पेंसरी के अलावा मोबाइल वैन और शिविर में जांच की जा रही थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। देवकीनंदर सोनी ने बताया कि वह अपनी पत्नी को लेकर पहले नजदीकी डिस्पेंसरी में गए थे, लेकिन वहां जांच के लिए मना कर दिया गया। इसके बाद वह कस्तूरबा अस्पताल पहुंचे। शिकायतकर्ता ने बताया कि हेल्पलाइन नंबर 104 पर कॉल किया था, लेकिन जानकारी नहीं दी गई। प्रतिनिधि ने ही डिस्पेंसरी पर सुबह 9 से शाम पांच बजे तक कोरोना जांच होने की बात कही थी, जो कि गलत निकली।
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50 फीसदी रह गया सैंपल कलेक्शन
जिले की क्षमता एक दिन में सात हजार सैंपल जांचने की है। संक्रमण की दूसरी लहर के समय हर दिन साढ़े छ हजार से अधिक सैंपल जांचे भी जा रहे थे, लेकिन अब यह संख्या आधी रह गई है।
50 फीसदी रह गया सैंपल कलेक्शन
जिले की क्षमता एक दिन में सात हजार सैंपल जांचने की है। संक्रमण की दूसरी लहर के समय हर दिन साढ़े छ हजार से अधिक सैंपल जांचे भी जा रहे थे, लेकिन अब यह संख्या आधी रह गई है।
भोपाल में रोज 5 से 6 हजार सैंपल की जांच हो रही। आरटीपीसीआर की रिपोर्ट में थोड़ा समय लगता है, लेकिन तीन दिन में आ ही जाती है। हो सकता है तकनीकी खामी के चलते दिक्कत हुई हो।
डॉ. प्रभाकर तिवारी, सीएमएचओ भोपाल
डॉ. प्रभाकर तिवारी, सीएमएचओ भोपाल