डेंगू और चिकनगुनिया के हर रोज 20 से 30 मरीज सामने आ रहे हैं, लेकिन मच्छर मारने के लिए दवाओं का छिड़काव तक नहीं हो रहा। वजह सिर्फ यह कि विभाग के पास मच्छर मारने की दवा पायरेथ्रम में मिलाने के लिए केरोसिन ही नहीं है। एेसे में विभाग सिर्फ धुएं से काम चला रहा है। जबकि, नियमों के मुताबिक घरों में दवा का छिड़काव ही किया जाना चाहिए।
बीते आठ सालों में शहर में डेंगू की स्थिति
वर्ष मरीज मौत
2009 228 02
2010 79 00
2011 06 00
2012 30 00
2013 165 00
2014 706 14
2015 57 04
2016 758 12
2017 675 04
एक लाख की आबादी में दो कर्मचारी
एक लाख की आबादी पर डेंगू लार्वा को रोकने के लिए महज दो कर्मचारी हैं। विभाग के पास ७५ कर्मचारी हैं, जिसमें से साल तक लगभग 15 कर्मचारी और रिटायर हो जाएंगे। इस तरह मलेरिया रोकथाम के लिए 50 कर्मचारी भी नहीं रहते। मलेरिया इंस्पेक्टर्स के 12 पदों में से चार पदस्थ हैं।
हर हफ्ते मिल रहे 50 मरीज
शहर में डेंगू के औसतन 50 मरीज हर सप्ताह मिल रहे हैं। अब तक ६५७ मरीज मिल चुके हैं। बीते दस सालों में यह तीसरा मौका है जब डेंगू मरीजों का आंकड़ा 650 के पार गया है। यही नहीं चिकनगुनिया के भी मरीज 300 पार हो चुके हैं। यह पहली बार है जब चिकनगुनिया 300 के पार पहुंचा हो।
LAST UPDATED: SEPTEMBER 22, 2017 BY GOPAL MISHRA 20 COMMENTS
डेंगू (Dengue) के बारे में इस समय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं समाचार-पत्र आदि में काफी सुनने व पढने को मिल रहा है। इस समय यह रोग भयानक रूप से फैलता हुआ दिखाई दे रहा है।
डेंगू दुनिया भर में पाया जाने वाला एक खतरनाक वायरल रोग है जो की संक्रमित मादा एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है। अकेला एक संक्रमित मच्छर ही अनेक लोगों को डेंगू रोग से ग्रसित कर सकता है।
* मांस पेशियों एवं जोड़ों में भयंकर दर्द,
* सर दर्द,
* आखों के पीछे दर्द,
* जी मिचलाना,
* उल्टी
* दस्त तथा
* त्वचा पर लाल रंग के दाने
* यदि घर में बर्तनों आदि में पानी भर कर रखना है तो ढक कर रखें। यदि जरुरत ना हो तो बर्तन खाली कर के या उल्टा कर के रख दें।
* कूलर, गमले आदि का पानी रोज बदलते रहें। यदि पानी की जरूरत ना हो तो कूलर आदि को खाली करके सुखायें।
* ऐसे कपड़े पहनें जो शरीर के अधिकतम हिस्से को ढक सकें।
* मच्छर रोधी क्रीम, स्प्रे, लिक्विड, इलेक्ट्रॉनिक बैट आदि का प्रयोग मच्छरों के बचाव हेतु करें।