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भोपाल

डॉक्टरों ने भी माना योग का दम, इलाज के साथ मरीजों को खुद करा रहे योग

21 जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष

भोपालJun 21, 2018 / 10:04 am

Rohit verma

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डॉक्टरों ने भी माना योग का दम, इलाज के साथ मरीजों को खुद करा रहे योग

भोपाल। हजारों साल पुराने योग और आयुर्वेद का दम अब एलोपैथिक डॉक्टरों ने भी मान लिया है। राजधानी में आधा दर्जन से अधिक एलोपैथिक डॉक्टर ऐसे हैं जो पीडि़त मरीजों को एलोपैथिक उपचार के साथ ही उन्हें योग भी करने की सलाह देते हैं यही नही उन्हें स्वयं भी योग कराते हैं। ये डॉक्टर एलोपैथिक उपचार के साथ ही योग के अच्छे जानकार भी हैं। बिना किसी लागलपेट के ये डॉक्टर स्वीकार करते हैं कि योग और आयुर्वेद में उपचार की कोई सीमा नही है जबकि एलोपैथी एक सीमा के बाद असहाय सी नजर आती है। उनका मानना है कि एलोपैथिक उपचार के साथ यदि योग को भी शामिल कर लिया जाए तो उपचार का फायदा कई गुना बढ़ जाता है।

20 सालों से करा रहे योग
नेत्र चिकित्सक डॉ. ललित श्रीवास्तव भी योग के प्रभाव से अछूते नहीं है। वे बीते 20 सालों से लोगों और मरीजों को योग की शिक्षा दे रहे हैं। बकौल डॉ. श्रीवास्तव हमारे शरीर में तीन भाग होते सिम्पेथेटिक, पैरासिम्पेथेटिक और सेंट्रल नर्वस सिस्टम। आमतौर पर हम सिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम पर काम करते हैं लेकिन योग में हम पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम में काम करने लगते हैं। योग सीधे नर्वस सिस्टम पर काम करता है। मैं 20 सालों में कई लोगों सिर्फ योग के बल पर ठीक कर चुका हूं।

100 मरीजों पर किया शोध
अंतरराष्ट्रीय नैचुरोपैथी एक्सपर्ट डॉ अंबर पारे के मुताबिक योग एक अतिप्राचीन विज्ञान ही है जो आज के विज्ञान से कहीं आगे हैं। मैं कई सालों से अपने मरीजों को योग की शिक्षा दे रहा हूं। इसको लेकर करीब 100 मरीजों पर एक शोध भी किया था जिसमें पाया गया कि लगाता योग करने के बाद कई मरीजों के हायपर थायरायड और कैंसर में सुधार हुआ है। यही नहीं मरीजों के हायपरटेंशन, रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ दिल संबंधी विकारों में भी सुधार हुआ।

दवाएं नहीं, बताते हैं योग के गुर
फिजिशियन डॉ. बसंत काकरे बैसे तो एमडी मेडिसिन हैं। लेकिन वे योग से इतने प्रभावित हैं कि अब मरीजों को दवाओं की जगह योग के गुर सिखाते हैं। वे बताते हैं कि करीब 15 साल पहले वे गंभीर रूप से बीमार हुए तो डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए। फिर योग से उन्हें नया जीवन मिला। तब ही फैसला किया कि मैं इसका फायदा दूसरों तक पहुंचाऊगा। मेरे पास जो मरीज आते हैं उन्हें मर्ज के अनुसार योग के आसन बताता हूं। अब तक अनगिनत मरीजों को योग से ठीक कर चुका हूं।

विदेशों तक में फहरा रहे परचम, योग शिक्षकों की बढ़ गई मांग
बरकतउल्ला विवि के योग विभाग में लगातार बढ़ रही मेरिट, 80 प्रतिशत तक पहुंच रहा कटऑफ, मल्टीनेशनल कंपनियों में कर रहे काम -दुनिया भर में लगातार बढ़ रही योग की पहुंच के साथ ही इससे जुड़े लोगों की मांग भी बढ़ती जा रही है। एेसे ही बरकतउल्ला विवि के योग विभाग से योग में प्रमाणपत्र, डिप्लोमा, डिग्री करने वाले युवा आज देश के साथ ही विदेशों तक में परचम फहरा रहे हैं। विवि में संचालित पाठ्यक्रम की मांग का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि गतवर्ष पीजी डिप्लोमा के विभिन्न पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए कटऑफ 80 प्रतिशत तक पहुंचा था। संस्थान में विभिन्न पाठ्यक्रम के लिए लगभग २४० सीटें हैं, जिनमें प्रवेश के लिए मारामारी रहती है।

विभागाध्यक्ष डॉ. साधना दौनेरिया के अनुसार विभाग से अध्ययन कर चुके कई पूर्व छात्र वर्तमान में वियतनाम, मलेशिया जैसे देशों में सफलता पूर्वक योग केंद्र संचालित कर रहे हैं। एेसे ही कई छात्र मल्टीनेशनल कंपनियों में सेवारत हैं। विभाग विवि के सर्वाधिक प्लेसमेंट देने वाले संस्थानों में से एक है।
योग विभाग में संचालित हो रहे ये पाठ्यक्रम–

पाठ्यक्रम———अवधि————-सीट
प्रमाण पत्र–यौगिक सांइस– तीन माह—–40
पीजी डिप्लोमा-यौगिक सांइस- एक वर्ष—-60
पीजी डिप्लोमा योग थैरिपी—- एक वर्ष—40
पीजी डिप्लोमा स्ट्रेस मैनेजमेंट- एक वर्ष—20
एमए/एमएससी ह्यूमन कॉन्शसनेस एंड यौगिक सांइस–दो वर्ष–60
एमफिल यौगिक सांइस——18 माह—20

विभाग में संचालित सभी पाठ्यक्रमों में प्रवेश लगभग शतप्रतिशत रहते हैं। यहां से अध्ययन कर डिग्री, डिप्लोमा करने वाले युवाओं को अच्छे रोजगार के अवसर मिल रहे हैं।
डॉ. साधना दौनेरिया, विभागाध्यक्ष

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