यह त्यौहार हिंदू महीना अश्विन में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो सितंबर और अक्टूबर के माह मेंआता है। दशहरा (dussehra 2017) मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल सहित पूरे देश में बहुत उत्साह से मनाया जाता है जिसमें विभिन्न राज्य अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों का पालन करते हैं।
मान्यता के अनुसार, भगवान राम ने रावण के खिलाफ लड़ाई लड़ी और उसे अपनी पत्नी सीता को बचाने के लिए पराजित किया। राम की पत्नी सीता का रावण ने अपहरण किया था। भगवान राम की यह जीत भी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस त्यौहार के दौरान, कई जगह रामलीला का भी आयोजन किया जाता है। दशहरा के नौ दिन पहले सामूहिक रूप से नवरात्रि के रूप में जाना जाता है, जिसके दौरान लोग प्रार्थना करते हैं और उपवास करते हैं।
दरअसल दशहरा, नवरात्रि यानि 9-दिवसीय समारोहों के अंत में दुर्गा पूजा की समाप्ति का प्रतीक है। यह नवरात्रि भी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक मानी जाती है, क्योंकि यहां देवी दुर्गा ने लोगों की रक्षा के लिए महिषासुर को मार डाला था। दक्षिण भारत में भी देवी दुर्गा या देवी चामुंडेश्वरी की पूजा की जाती है, जिन्होंने लोगों की रक्षा के लिए चामूंडी पहाड़ियों की चोटी पर मासिसुरा और उनकी राक्षस सेना को पराजित किया था।
देवी दुर्गा के साथ, देवी लक्ष्मी, देवी सरस्वती, भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है। इस दिन नदी या समुद्र में भव्य जुलूस देखे जाते हैं जहां मूर्तियों को पानी में विसर्जित कर दिया जाता है क्योंकि भक्तों के गीत, गाते और जश्न मनाते हैं। इस साल दशहरा 30 सितंबर (शनिवार) पर पड़ रहा है।
कोलार में होगा सबसे बड़ा रावण :
हर साल की तरह इस बार भी कोलार में सबसे बड़े रावण (dussehra 2017 celebration) का दहन किया जाएगा। हिन्दू उत्सव समिति द्वारा भव्य दशहरा महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम, भव्य आतिशबाजी और सम्मान समारोह होगा। आयोजन की तैयारी को लेकर पिछले दिनों कोलार हिन्दू उत्सव समिति की बैठक हुई।
यहां राम की नहीं रावण की होती है पूजा :
नवरात्रि के खत्म होने के तुरंत बाद यानि 11 अक्टूबर को दशहरा का मनाया जाएगा। इस दिन राम ने रावण का वध किया था और लंका पर विजय प्राप्त कर अपहृत हुईं माता सीता को छुड़ाया था।
इसी वजह से इस दिन का विजयादशमी(dussehra celebration) भी कहा जाता है। मध्यप्रदेश सहित पूरे देश में रावण का पुतला जलाया जाता है और भगवान राम की पूजा की जाती है। लेकिन मध्यप्रदेश में एक ऐसी जगह भी हैं, जहां पर भगवान राम की नहीं बल्कि रावण की पूजा की जाती है।
मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में एक गांव है, जहां राक्षसराज रावण का मंदिर बना हुआ है। यहां रावण की पूजा होती है। यह रावण का मध्यप्रदेश में पहला मंदिर था। मध्यप्रदेश के ही मंदसौर जिले में भी रावण की पूजा की जाती है। मंदसौर नगर के खानपुरा क्षेत्र में रावण रूण्डी नाम के स्थान पर रावण की विशाल मूर्ति है। कथाओं के अनुसार, रावण दशपुर (मंदसौर) का दामाद था। रावण की धर्मपत्नी मंदोदरी मंदसौर की निवासी थीं। मंदोदरी के कारण ही दशपुर का नाम मंदसौर माना जाता है।