भोपाल। चुनाव आयोग के मप्र में एक हजार लोगों को नियुक्ति दिए जाने के प्रस्ताव पर राज्य सरकार तैयार है। आयोग के प्रस्ताव पर हो रही ये नियुक्तियां राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के अधीन होंगी। कैबिनेट की मंजूरी के बाद नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो सकेगी।
चुनाव आयोग चाहता है कि राजधानी, जिला और विधानसभा स्तर पर उसका अमला हो, जिससे निर्वाचन कार्य में तेजी आ सके। तर्क दिया गया कि अभी जिला स्तर पर कलेक्टर के अधीन काम करने वालों को ही निर्वाचन का अतिरिक्त काम देने के कारण निर्वाचन कार्य में विलम्ब होता है।
निर्वाचन कार्य वर्ष भर चलते रहते हैं, ऐसे में आयोग में ऐसा अमला हो जो सिर्फ चुनाव का काम करे। आयोग के प्रस्ताव से सरकार सैद्धांतिक तौर पर सहमत रही लेकिन खर्च के मामले में बात अटक गई। आखिरकार एक हजार पदों के लिए सहमति बनी। तय हुआ कि केन्द्र सरकार 50 फीसदी खर्च उठाएगा और शेष 50 फीसदी का खर्च राज्य अपने खजाने से उठाए। इसमें राज्य सरकार पर सालार्ना करीब डेढ़ करोड़ रुपए खर्च आएगा।
मुख्यालय के लिए 34 पद
राज्य के मुख्य निर्वाचन कार्यालय के लिए आयोग ने 83 पदों को प्रस्ताव दिया था, लेकिन सहमति बनी सिर्फ 34 पदों पर। इसमें एडीशनल सीईओ, ज्वाइंट सीईओ, डिप्टी सीईओ, एसओ सहित डाटा एंट्री आपरेटर, सहायक प्रोग्रामर, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद शामिल हैं।
जिला स्तर पर पांच-पांच और विधानसभा स्तर पर तीन-तीन पद स्वीकृत हुए हैं। जिला स्तर पर एक असिस्टेंट डीईओ रहेगा। यह तहसीलदार और नायब तहसीदार स्तर का होगा। इसके अलावा एक-एक सहायक प्रोग्रामर, डाटा एंट्री आपरेटर, चतुर्थश्रेणी कर्मचारी शामिल हैं।
जिले में कलेक्टर होंगे बॉस
जिला और विधानसभावार पदस्थ होने वाले अमला संबंधित जिला कलेक्टर के अधीन काम करेगा। राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के सभी निर्देशों का पालन कराने की जिम्मेदारी कलेक्टर की होगी। कलेक्टर इसी अमले से काम लेगा।
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