भोपाल के एक सोशल मीडिया इंन्फ्लुएंसर ने बताया कि वे अपने कॉमेडी वीडियो के साथ प्रत्याशी का बातों ही बातों में प्रचार करेंगे। फोकस यूथ तक प्रत्याशी के मैसेज को पहुंचाने की है। इसके लिए अच्छी खासी रकम भी मिल रही है। हर शहर के बड़े इंन्फ्लुएंसर को प्रत्याशी नकद में ये राशि देने का वादा कर रहे हैं। हम अपने फैंस पेज के जरिए भी प्रचार कर रहे हैं। ओरिजनल कंटेंट होने के कारण इसे की-वर्ड के जरिए ट्रैक करना भी मुश्किल है। डमी पेज से ज्यादा प्रचार किसी भी प्रत्याशी को नामांकन फॉर्म जमा करते समय अपने सोशल मीडिया हैंडल की जानकारी देना होती है।
आयोग इस पर होने वाली गतिविधियों पर निगाह रखता है, लेकिन प्रत्याशी के पेज से ज्यादा पोस्ट डमी पेज या फैंस पेज से होती है। प्रत्याशी विपक्षी पर आरोप लगाने या अफवाह फैलाने के लिए भी इन्हीं पेज का इस्तेमाल करते हैं। इससे चुनाव आयोग सीधे उन पर कार्रवाई भी नहीं कर पाता।
मैसेज को बूस्ट किया तो चुनावी खर्च में जुड़ेगी राशि भारत निवार्चन आयोग ने प्रदेश में निवार्चन से जुड़े अधिकारियों को एक लिंक उपलब्ध कराया है। इसके जरिए फेसबुक, यू-ट्यूब, इंस्टाग्राम जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर किसी भी मैसेज को वायरल करने के लिए खर्च होने वाली राशि का तत्काल पता चल जाता है। आयोग ये भी पता कर सकता है कि इसे पार्टी या प्रत्याशी किसने खर्च किया है। ऐसे में यदि प्रत्याशी चुनावी खर्च की गलत जानकारी देता है तो आयोग के लिए इसे पकडऩा इस बार आसान होगा। ये राशि प्रत्याशी के खर्च में जोड़ी जाएगी।
आयोग सोशल मीडिया पोस्ट पर नजर बनाए हुए है। ये हमारे लिए बिल्कुल नया मामला है, इस तरह की पोस्ट की जांच की जाएगी।
-अनुपम राजन, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी
गरबा उत्सव में खलल, जानिए क्या है आचार संहिता की गाइडलाइन