यह बात बीते साल बेटे अतुल लोखंडे के अंगदान करने वाले परिजनों ने कही। वे किरण फाउंडेशन की ओर से आयोजित देह और अंगदान जागरुकता कार्यक्रम में अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहे थे।
अतुल के मामा ने बताया कि जब उन लोगों ने अंगदान करने का फैसला किया तो कई रिश्तेदारों ने मना किया। कहा- क्यों बेटे के शरीर की चीर-फाड़ करा रहे हो, लेकिन हमें लगा कि हमारा बेटा तो चला गया, लेकिन कोई जिंदगी बचती है तो बेटे का जीवन सफल हो जाएगा। इस अवसर पर शहर काजी के बेटे सैजद साद अली नदवी भी मौजूद थे।
उन्होंने अंगदान को जरूरी बताते हुए कहा कि इस्लाम में दान का बड़ा महत्व बताया गया है। धन-दौलत और अन्य तरीकों से मदद के साथ इंसान किसी की जिंदगी बचाने अंगदान भी कर सकता है। अंगदानी शशांक कुराने के परिजनों का कहना था कि डाक्टरों को अंगदान की प्रक्रिया को आसान बनाना चाहिए। इस मौके पर अंगदान पर चर्चा के वक्त कई लोगों की आंखें नम हो गई। सभी ने एक दूसरे को अंग दान कर दूसरों की जिंदगी बचाने का संदेश भी दिया।
आत्महत्या कर ली थी अतुल ने
भोपाल में भारतीय जनता युवा मोर्चा के नेता अतुल लोखंडे ने लड़की के घर में खुद को गोली मार ली थी। गंभीर रूप से घायल हालत में लड़की उसे अस्पताल लेकर पहुंची, जहां डॉक्टरों ने उसे ब्रेनडेड घोषित कर दिया था। इसके बाद अतुल के परिजनों ने उसके अंग अन्य लोगों की मदद के लिए देने का मन बनाया। आज 8 जिंदगी अतुल की मदद से जीवन जी रही हैं। अतुल के परिजन भी खुश हैं। उन्हें लगता है कि उनका बेटा कहीं न कहीं किसी के शरीर में रह रहा है।
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