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दरअसल केन्द्र सरकार ने अपने सालाना बजट में घोषणा की है कि यदि कोई व्यक्ति एक साल में 1 करोड़ रुपए से ऊपर बैंकों से राशि निकालता है तो उस पर 2 प्रतिशत की दर से टीडीएस कटेगा। व्यापारियों का कहना है कि मंडियों में कई व्यापारी ऐसे है जो रोजाना 40 से 50 लाख रुपए का माल खरीदते हैं। 1 करोड़ का लेन-देन कोई बड़ी बात नहीं है।
ऐसे में टीडीएस कटने से उन्हें आर्थिक नुकसान होगा। सरकार को इस नियम को हटाना चाहिये। इस नियम से छोटे किसान जो कम उपज लेकर आते हैं, उन्हें नकद पैसा नहीं मिलने पर ज्यादा परेशानी होगी। उनका कहना है कि कृषि उपज ज्यादातर नकद ही बिकती है।
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सीजन पर होगी समस्या
आने वाले खरीफ सीजन में जब मंडियों में नई फसल की आवक शुरू होगी, उस समय किसानों को ज्यादा परेशानी होगी। उन्हें नकद पैसा नहीं मिलेगा। खाते में जाने और निकालने में 2 से 3 दिन का समय लग जायेगा। इस मामले में भोपाल ग्रेन एंड ऑयल सीड्स मर्चेन्ट एसोसिएशन के प्रवक्ता संजीव जैन ने बताया कि मंडी बोर्ड को इस मामले में कोई निर्णय लेना चाहिये। इस मामले में मंडी बोर्ड के प्रबंध संचालक अशोक कुमार वर्मा से बार-बार संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन वे उपलब्ध नहीं हो सकें।
प्रदेश के सभी अनाज व्यापारियों ने यह निर्णय लिया है कि 1 सितंबर से कोई भी नकद भुगतान किसानों को नहीं करेगा। किसानों का भुगतान नकद की बजाय चेक, एनईएफटी या आरटीजीएस के माध्यम से किया जायेगा। इसे लेकर हमने एक चिट्ठी भी मंडी बोर्ड को लिखी है। – गोपाल दास अग्रवाल, अध्यक्ष मप्र अनाज तिलहन व्यापारी महासंघ