उज्जैन के देवास रोड पर दताना-मताना हवाई पट्टी है। लोकायुक्त संगठन ने इस हवाई पट्टी की लीज और पार्किंग शुल्क में आर्थिक गड़बड़ी का मामला दर्ज किया हुआ है। कुछ आइएएस अफसर इस केस में पहले से ही आरोपी हैं। इकबाल सिंह बैंस के मुख्य सचिव पद से सेवानिवृत्त होने के बाद केस की फाइल पर पड़ी धूल हटाई गई तो घोटाले के रन—वे पर नया नाम उभर आया।
1. लीज अवधि में बढ़ोत्तरी : सरकार ने यह हवाई पट्टी 2006 में यश एयरवेज और सेंटॉर एविएशन एकेडमी इंदौर को लीज पर दी थी। राज्य सरकार और कंपनी के बीच 7 साल के लिए अनुबंध हुआ था। दो वर्ष बाद ही इसकी लीज अवधि को 10 वर्ष कर दिया गया। लोकायुक्त संगठन ने इस समय वृद्धि को अनुचित माना है। अवधि बढ़ाने का आदेश तत्कालीन विमानन सचिव इकबाल सिंह बैस ने किया।
2. पार्किंग शुल्क की माफी : यश एयरवेज को नाइट पार्किंग के लिए 5 हजार 700 किलो वजनी विमानों के लिए 100 रुपए चुकाने थे। इससे ज्यादा वजनी विमानों के लिए यह चार्ज 200 रुपए था, लेकिन कंपनी ने यह रकम सरकार को नहीं दी। वर्ष 2016 में अनुबंध समाप्त हो गया और कंपनी से पार्किंग शुल्क की वसूली तय हुई। तब 10 मई 2021 को केबिनेट में प्रस्ताव लाकर पार्किंग शुल्क माफ किया गया। यह प्रस्ताव बतौर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस न रखा। लोकायुक्त संगठन ने माना है कि कोई भी प्रस्ताव भूतलक्षी (समय निकल जाने के बाद) प्रभाव से लागू नहीं किया जा सकता है। के बिनेट से यह प्रस्ताव छलपूर्वक मंजूर करवाया गया।
1985 बैच के आइएएस इकबाल सिंह बैंस को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का विश्वसनीय अफसर माना जाता है। बैस कृषि, उद्यानिकी, ऊर्जा, विमानन, आबकारी, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, संसदीय कार्य जैसे विभागों में काम कर चुके हैं। सीहोर, खंडवा, गुना और भोपाल के कलेक्टर भी रहे हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय में सचिव, प्रमुख सचिव और अपर मुख्य सचिव रह चुके हैं। जब जुलाई 2013 में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर संयुक्त सचिव बनकर चले गए थे, उन्हें भाजपा सरकार बनने के बाद अगस्त 2014 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केंद्र से विशेष आग्रह करके वापस बुलाया था।