बताया गया कि वर्ष 2008 में यहां हेडमास्टर बनकर संगीता ठाकुर आई थीं। तब 526 बच्चे यहां पढ़ते थे। उनकी लगातार मेहनत रंग लाई और आज इस स्कूल में 1270 बच्चे, 37 टीचर्स, एक लेखाकार, दो लिपिक हैं। चपरासी की पोस्ट स्वीकृत नहीं है।
वर्ष 2011 में यह स्कूल अपगे्रड होकर सीनियर सेकेंडरी हुआ तो संगीता को ही प्रिंसिपल बनाया गया। कई तरह के खेल भी शुरू कराए गए। खो खो, कबड्डी, रेस, क्रिकेट, फुटबाल आदि खेलों की इंटरहाउस कम्पिटिशन में बच्चे निखर रहे हैं।
पिछली बार युवा संसद के मंचन में भोपाल में यह स्कूल प्रथम आया। 09 अगस्त 2017 को शौर्य स्मारक पर अंग्रेजो भारत छोड़ो कार्यक्रम में स्कूल के बच्चों ने बेहतर प्रदर्शन किया, जिसके लिए सीएम ने एक लाख रुपए पुरस्कार की घोषणा की। पिछले वर्ष स्कूल का परिणाम 12वीं कक्षा का 86 व 10वीं कक्षा का 97 प्रतिशत रहा। अनुशासन व मेहनत को सफलता का मूलमंत्र बताया।
स्वच्छता पर विशेष ध्यान
इस स्कूल में पेयजल की विकराल समस्या थी। पानी पीने लायक नहीं था। स्कूल प्रिंसिपल संगीता ठाकुर ने विद्यालय की बोरिंग के पानी की दो बार पीएचई लैब में जांच कराई। जांच में पता चला कि बोरिंग का पानी पीने लायक नहीं है। फिर आरओ व वाटर कूलर की व्यवस्था की।
अब नगर निगम के टैंकर से पानी स्कूल के ओवरहेड टैंक में भरा जाता है। वाटर टैंक की हर सप्ताह सफाई करवाकर क्लोरीन आदि डाला जाता है। विद्यालय का गेट पूर्व में टूट गया था, जिससे पंखे, खिड़की आदि कई सामान चोरी हो गए थे।
अब गेट का निर्माण कार्य चल रहा है। चोरी के डर से आरओ और वाटर कूलर अंदर रख दिए गए हैं। गल्र्स के लिए 2, बॉयज के लिए 4 और स्टाफ के लिए 4 अलग वॉशरूम हैं। प्रिंसिपल का कहना है कि 1270 बच्चों को 9 कक्ष में बैठाना मुश्किल था, इसलिए शेड बनवाकर अस्थाई व्यवस्था की।
अब 1.75 करोड़ की लागत से नया भवन बनना है। 6-7 लाख रुपए की लागत से स्कूल गेट पार्षद निधि से बन रहा है।