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भोपाल

बाघों के लिए बनाए जाएंगे नए ठिकाने, जहां बाघों की उपस्थिति कम वहां तैयार होंगे घास के मैदान

– जहां बाघों की उपस्थिति कम वहां तैयार होंगे घास के मैदान- शाकाहारी जानवरों के माध्यम से बाघों के लिए बनाए जाएंगे नए ठिकाने- घास के नए मैदान बनाने में खर्च होंगे सवा 13 करोड़ रुपए

भोपालAug 12, 2019 / 10:33 am

Ashok gautam

CG News

अब वन विभाग ने बाघों की गणना पर ही उठाए सवाल

भोपाल। नेशनल पार्क और उसके बाहर जहां बाघों की उपस्थिति कम है अथवा नहीं है, वहां घास के मैदान तैयार किए जाएंगे। इन क्षेत्रों में करीब 3००० हेक्टेयर में अलग-अलग स्थानों पर एक से दो वर्षों के अंदर घास के मैदान विकसित किए जाएंगे।

दर असल यह कवायत वन विभाग द्वारा बाघों के नए-नए ठकाने बनाने के लिए की जा रही है। वाइल्ड लाइफ अधिकारियों का मानना है कि पार्क और उसके बाहर कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां बाघों की उपस्थिति ज्यादा है, कई जगह बहुत कम है और कई जगह बिल्कुल भी नहीं है।

 

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अगर इन क्षेत्रों में घास के मैदान विकसित किए जाएंगे तो शाकाहरी जानवरों संख्या बढ़ेगी। शिकार की सहज उपलब्धता के चलते इन क्षेत्रों में बाघ अपने नये ठिकाने बनाएंगे और टेरिटोरियल फाइट भी नहीं होगी। प्रदेश में हर साल करीब 5 से 7 बाघों की मौत टेरिटोरियल फाइट से होती है।
वन विभाग इस वर्ष घास के नए मैदान तैयार करने में सवा 13 करोड़ रुपए खर्च करेगा।

घास के मैदान उन क्षेत्रों में बनाए जाएंगे जहां विरले वन हैं। इसके साथ ही इन क्षेत्रों में नदी अथवा दो पहाड़ों के बीच में तालाब बनाया जा सके। तालाब में बारिश के पानी को रोका जाएगा, इससे गर्मी के दिनों में घास की सिंचाई होगी और जंगली जानवर तालाब से पानी भी पी सकेंगे।

 

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एक दो साल तक इस मैदान के देख-रेख करने के बाद इन क्षेत्रों से नीलगाय, सांभर, हिरण, बारह सिंघा सहित अन्य शाकाहारी जानवरों को विस्थापित जाएगा, जहां इसकी संख्या ज्यादा है। शाकाहारी जानवरों और पानी की पर्याप्त उपलब्धता होने से बाघ भी यहां अपना ठिकाना बना सकेंगे।

 

बड़े बाधों के आस-पास जमीन की तलाश

वन विभाग बड़े-बड़े बाध के आस-पास खाली वन भूमि तलाश कर रहा है। इन क्षेत्रों में वन विभाग को घास के मैदान तैयार करने और पानी के लिए ज्यादा राशि नहीं खर्च करनी पड़ेगी।

जल संसाधन विभाग मिलकर बड़े-बड़े बाधों के उन क्षेत्रों में भी घास के मैदान बनाए जाएंगे, जहां गर्मी के दिनों में बाधों का पानी सूख जाता है। इसके अलावा जिन क्षेत्रों में वन विकास निगम ने जंगल काट लिए हैं और उन क्षेत्रों में नए सिरे से प्लांटेशन किया जाना है वहां भी बीच-बीच में घास के मैदान तैयार किए जाएंगे।

 

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घने जंगलों में नहीं हैं घास के मैदान

घने जंगलों में घास के मैदान नहीं होते हैं। पेड़ों के नीचे घास नहीं उगती हैं। इसके अलावा घने जंगलों में शाकाहारी जानवर भी जाने से कतराते हैं। बारह सिंघा, हिरण सहित कई जानवर घने जंगलों के बीच में फंस भी जाते हैं। इन क्षेत्रों में उन्हें विचरण करने में भी परेशानी होती है और शिकार के दौरान उन्हें अपनी जान बचाकर भागने में भी दिक्कत होती है।

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