सांसद विधायक से मिलेंगे: लोगों को कहना है नोटिस को लेकर वह सांसद प्रज्ञा ठाकुर और विधायक रामेश्वर शर्मा से गुहार लगाएंगे। विस्थापन जगह का आवंटन या मुआवजा देकर किया जाना चाहिए। अभी बच्चों की परीक्षाएं शुरू होने वाली है। सालों से वह जमीन पर काबिज हैं, कुछ लोगों को कहना है कि पुनर्वास विभाग ने उन्हें बसाया था।
150 परिवार रहते हैं
यहां 150 परिवार रहते हैं, नोटिस 1000 से अधिक लोगों के सामने घर का संकट पैदा हो गया है। लोगों ने यहां पक्के मकान भी बना लिए हैं। नोटिस मिलने से रहवासियों में हडक़ंप मच गया है। उनका कहना है कि सालों से वह यहां निवास कर रहे हैं। हम लोगों की व्यवस्था कर हटाया जाना चाहिए। बलपूर्वक हटाए जाने पर सडक़ों पर उतरेंगे। लोगों का दावा है कि पुनर्वास विभाग ने बसाया था।
पहले भी मिल चुके नोटिस
यहां इससे पहले भी रेलवे से नोटिस पहले मिल चुके हैं, लेकिन वह सालों पुरानी बात है। संतनगर स्टेशन का अमृत भारत योजना के तहत न केवल विकास किया जा रहा है, बल्कि तीसरी रेल लाइन का काम भी चल रहा है। लोगों का कहना है यदि यहां हटाया जाता है, तो रेलवे को हमारी व्यवस्था करना चाहिए।
नींद उड़ गई है हमारी
-अचानक घर से बेदखल करने का नोटिस नींद उड़ाने वालों है। 50 साल से हम यहां रह रहे हैं। जन्म ही यहां हुआ है। हटाया जाना है तो मुआवजा दिया जाना चाहिए या जमीन दिया जाना चाहिए। बच्चों को लेकर कहां जाएंगे समझ नहीं आ रहा है। हम यहां से बिना विस्थापन नहीं हटेंगे।
रेशमा तोतलानी, रहवासी
10 दिन का समय दिया है
-रेलवे के अधिकारी नोटिस देकर गए हैं। 20 फरवरी तक मकान तोडऩे का कह दिया है। कह रहे थे ऐसा नहीं किया तो बलपूर्वक हटाया जाएगा। ऐसा हुआ तो हमारे साथ अन्याय होगा और अमानवीय होगा। कहां जाएंगे समझ नहीं आ रहा है।
सुशीला पंजवानी, रहवासी
पहले हुई थी सुनवाई
-रेलवे के नोटिस को लेकर विधायक और सांसद से मिलेंगे। गुहार लगाएंगे जो भी हो मानवीय आधार पर होना चाहिए। पहले भी इस तरह के नोटिस मिले थे, एसडीएम के पास सुनवाई हुई थी, उसके बाद कुछ नहीं हुआ। यह सही है मेरे पास किसी तरह के कागज नहीं हैं।
सपना पंजवानी, रहवासी
1957 में मिला था पट्टा
-सीआरपी क्षेत्र में जहां हम रहे रहे है वहां के दस्तावेज वर्ष 1957 में पुनर्वास विभाग ने पट्टे दिए थे। पहले रेलवे ने 100 वर्गफुट में काम करने की बात कहीं थी अब 300 वर्ग फीट में काम करने की बात कह रहा है। इससे तो सारे मकान उजड़ जाएंगे और हम अपने परिवार के साथ कहा जाएंगे।
वासदेव भंभानी, रहवासी