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भोपाल

लांघी दहलीज, बढ़ा रहीं सियासी कद

बड़ा मुद्दा : प्रदेश की राजनीति में महिला नेतृत्व कितना कारगर, सैनेट्री नैपकिन कराया जीएसटी मुक्त, महिला श्रमिकों को दिलाया हक

भोपालAug 06, 2018 / 07:59 am

dinesh Binole

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madhya pradesh women politics

भोपाल. विधानसभा में पहुंची महिला जनप्रतिनिधियों ने पुरुषों की सोच को लांघा है। पहली बार लांजी से विधायक बनी हिना कांवरे ने मनरेगा में महिलाओं को हक दिलाने का बीड़ा उठाया। मजदूरों के खाते में मजदूरी आनी शुरू हुई। अमरीका से एमबीए करने के बाद सागर के सुरखी से विधायक बनीं पारुल साहू की मुहिम के बाद सैनेट्री नैपकिन से जीएसटी हटा। सैलाना विधायक संगीता चारेल की मुखर आवाज पर सरकार प्रदेश के ३३ जिलों में महिला समूह से यूनिफॉर्म बनवा रही है।

पंधाना विधायक योगिता बोरकर शिक्षा और कुपोषण की समस्या को खूब समझा है। ये ऐसी पहल हैं, जिन्होंने प्रदेश में बदलाव की कहानी को आगे बढ़ाया। जो काम अनुभवी विधायक नहीं कर पाए, उन्हें इन महिला विधायकों ने कर दिखाया। विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या लगातार बढ़ी है। 2008 में 22 महिला चुनकर आईं थी। यह संख्या 2013 में बढ़कर 32 हो गई।

 

मंत्रियों का जलवा कायम है, बन गई हैं रोल मॉडल
प्रदेश में मंत्री बनीं महिला विधायकों ने अपनी नेतृत्व क्षमता से लोहा मनवाया है। उनके काम का जलवा बरकरार रहा है। बुरहानपुर से तीन बार की विधायक और महिला बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस अपने क्षेत्र में दीदी के रूप में लोकप्रिय हैं।

इसी तरह ललिता यादव अपने तीखे तेवरों के लिए जानी जाती हैं। नगरीय प्रशासन मंत्री माया सिंह, खेल एवं युवक कल्याण मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री कुसुम सिंह महदेले भी राजनीति के क्षेत्र में महिलाओं के लिए रोल मॉडल बनकर उभरीं हैं। मीना सिंह और रंजना बघेल भी मंत्री के तौर छाप छोड़ चुकी हैं।

जनता से संवाद के अंदाज निराले
प्रदेश में महिला विधायकों के लोगों से संवाद के दिलचस्प तरीके हैं। पाकशाला की शौकीन खरगापुर विधायक चंदा सिंह गौर महिलाओं से बात करते कुछ-न-कुछ खुद बनाने लगती हैं। संगीता चारेल सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। इमरती देवी, शकुंतला खटीक, निर्मला भूरिया, नीना वर्मा संवाद के लिए चौपाल लगाती हैं। समस्या हो या अपराध, इंदौर की ऊषा ठाकुर मौके पर जरूरत पहुंचती हैं।

कुछ चीजें बदलने में समय लगेगा
कई महिला विधायक हालांकि आज भी अपने नाम के बीच में पिता या फिर पति के नाम का इस्तेमाल करती हैं। शीला त्यागी इसे गलत नहीं मानती। वे कहती हैं कुछ चीजें बदलने में वक्त लगेगा। असुरक्षा का भय कई बार परिवार और पार्टी से परे जाने से रोकता है।

सरकारी स्कूल के बच्चों को मिली बस
झूमा सोलंकी के प्रयासों से भीकनगांव के सरकारी स्कूल में पढऩे वाले बच्चों के लिए १४ रूट पर बस चलवाई गईं। डॉक्टर की पत्नी होने के नाते रतलाम की सैलाना विधायक संगीता चारेल ने सैनेट्री नैपकिन बांटने का अभियान शुरू किया। लांजी विधायक हिना कांवरे के पिता लिखीराम कांवरे की १५ जनवरी १९९९ को नक्सलियों ने हत्या कर दी थी। तब वह १५ साल की थीं। उन्होंने पिता की विरासत संभाली।

बड़े काम से कमाया नाम

प्रतिभा सिंह, भाजपा बरगी :
16 नए हायर सेकंडरी स्कूल और 18 हाई स्कूल खुलवाए। 700 करोड़ रुपए की समूह जल योजना को मंजूरी दिलाई।

प्रमिला सिंह, भाजपा जयसिंहनगर :

कॉलेज को यूनिवर्सिटी का दर्जा। इंजीनियरिंग, मेडिकल कालेज भवन निर्माण। बालक आवासीय क्रीड़ा परिसर।

ऊषा चौधरी, बसपा रैगांव सतना :

अरबों रुपए के सरकारी जमीन फर्जीवाड़े को उठाया, गुनहगारों को बेनकाब कर मुकदमा दर्ज कराया।

ममता मीणा, भाजपा चांचौड़ा, गुना :

गेहूंखेड़ी यात्री प्रतीक्षालय को चोर घर कहा जाता था। खुद देर रात वहां पहुंचीं, पुलिस पर दबाव बढ़ा और छवि बदली।

चंदा सिंह गौर, कांग्रेस खरगापुर :

बल्देवगढ़ में कॉलेज, भेलसी में स्टेडियम, करीब 40 स्कूलों का उन्नयन के साथ ही बल्देवगढ़ किले सौंदर्यीकरण।

रेखा यादव, भाजपा मलहरा :

चुनाव के समय किए वादे को पूरा करते हुए डिग्री कॉलेज और नल-जल योजना वाली घोषणाएं ही पूरी करवाई।

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