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अवैध कब्जों और जिन लोगों के पास दस्तावेज नहीं हैं उनके लिए अलग कैटेगिरी बनाकर उसमें नाम दर्ज किए जा रहे हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में ऐसे घर भी बने हुए हैं जो आधे ईदगाह की जमीन और आधे उससे सटी कॉलोनी पर हैं। ऐसे मकानों को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। अभी तक के सर्वे में ऐसे मकानों की संख्या 120 से ज्यादा मिली है। इसके लिए बाकायदा जीपीएस की मदद लेकर मकान का पूरा एरिया निकालकर सर्वे रिपोर्ट में दर्ज किया जा रहा है। ताकि कोई चूक न रह जाए। ऐसे मकानों को भी यथा स्थिति में ही रिपोर्ट में शामिल किया जा रहा है।
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ईदगाह की जमीन पर बसे 18 हजार घरों के लोगों को मालिकाना हक देने के लिए पिछले दो माह से सर्वे जारी है, लेकिन अभी तक आधे घरों का सर्वे ही हो पाया है। जबकि 8 जुलाई को बैठक कर सीएस एसआर मोहंती ने निर्देश दिए थे कि एक माह में सर्वे पूरा कर मालिकाना हक देने की प्रक्रिया शुरू की जाए। अभी तक के सर्वे में लोगों से उनके मूल दस्तावेज भी मांगे जा रहे हैं। जिनका सर्वे हो चुका है उनमें 15 फीसदी लोगों के पास पुराने हिबानामे और इनायतनामे हैं। 20 फीसदी के पास दस्तावेज हैं ही नहीं हैं।
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अवैध कब्जों और बिक्री के चलते लगाई रोक
ईदगाह की जमीन सरकारी खसरों में ईदगाह ड्योढ़ी के नाम से दर्ज है। वर्ष 2001 में तत्कालीन कलेक्टर अनुराग जैन ने आदेश पारित कर जमीन को सरकारी घोषित करते हुए 2001 से पहले हुए जमीनों के नामांतरण रद्द करते हुए यहां जमीनों की खरीद फरोख्त पर रोक लगा दी थी। इस आदेश के बाद ईदगाह की जमीन पर हुईं रजिस्ट्री शून्य हो गईं हैं और आगामी खरीद फरोख्त भी न के बराकर हुई। यहां जमीन पर काबिज लोग 18 साल से मालिकाना हक के लिए इंतजार कर रहे हैं।
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ईदगाह के सर्वे के लिए टीमें लगी हुईं हैं, जल्द सर्वे पूरा किया जाएगा। एक साथ कई कार्य के चलते रफ्तार स्लो है। अभी जो जैसी स्थिति में है उसकी रिपोर्ट बनाई जा रही है। आधे मकान जो ईदगाह की जमीन पर हैं उन्हें भी उसी स्थिति में दर्ज कर रहे हैं। – मनोज वर्मा, एसडीएम, बैरागढ