scriptदिग्विजय-सिंधिया की मुलाकात से बढ़ेगीं कमलनाथ की मुश्किलें, इस बार ये है ज्योतिरादित्य का मास्टर प्लान? | Jyotiraditya Scindia: inside Story of Digvijaya Singh and scindia meet | Patrika News

दिग्विजय-सिंधिया की मुलाकात से बढ़ेगीं कमलनाथ की मुश्किलें, इस बार ये है ज्योतिरादित्य का मास्टर प्लान?

locationभोपालPublished: Feb 23, 2020 10:42:07 am

Submitted by:

Pawan Tiwari

ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी सरकार के खिलाफ कर्जमाफी और अवैध रेत उत्खनन को लेकर हमला बोल चुके हैं।

सिंधिया

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भोपाल. अप्रैल में मध्यप्रदेश के कोटे से राज्यसभा की तीन सीटें खाली हो रही हैं। तीन सीटों में से दो कांग्रेस को मिलने की उम्मीद है जबकि एक सीट भाजपा के पास जाएगी। मध्यप्रदेश कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष, राज्यसभा सीट और वचन पत्र को लेकर नेताओं की गुटबाजी सामने आ रही है। दूसरी तरफ ज्योतिरादित्य सिंधिया सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने की बात कर रहे हैं। इस बीच दिग्विजय सिंह ने अपने टूर प्रोग्राम जारी कर सभी को चौंका दिया है। दिग्विजय सिंह के टूर प्रोग्राम के अनुसार, 24 फरवरी को दिग्विजय सिंह, गुना जिले के सर्किट हाउस में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 45 मिनट तक मीटिंग करेंगे। जानकारों का कहना है कि ये मुलाकात सीएम कमल नाथ के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है।
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क्या हैं मुलाकात के मायने?
ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह विपरीत धुव्र के नेता हैं। दोनों मध्यप्रदेश से सक्रिय राजनीति करते हैं और दोनों ही नेता इस बार लोकसभा चुनाव हार गए हैं। सिंधिया फिलहाल पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हैं तो दिग्विजय सिंह राज्यसभा सांसद। दोनों नेताओं के बीच कड़वाहट की खबरें रहती हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया चंबल अंचल में सक्रिय हैं तो दिग्विजय पूरे प्रदेश में सक्रिय हैं। जानकारों का कहना है कि दिग्विजय सिंह और सिंधिया दोनों ही मध्यप्रदेश की सियासत में अपना वजूद तलाश रहे हैं। अगर ये दोनों नेता एक साथ आते हैं तो मध्यप्रदेश में नया सियासी समीकरण जन्म लेगा। ज्योतिरादित्य सिंधिया जानते हैं कि अगर उन्हें मध्यप्रदेश की सियासत में सक्रिय रहना है तो दिग्विजय सिंह को साथ लेकर चलना होगा।
दिग्विजय-सिंधिया की मुलाकात से बढ़ेगीं कमलनाथ की मुश्किलें, इस बार ये है ज्योतिरादित्य का मास्टर प्लान?
वहीं, दूसरी तरफ दिग्विजय सिंह भी राज्यसभा भेजे जाने को लेकर आश्वस्त नहीं हैं। ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि राज्यसभा के लिए दो नेताओं में एक नेता मध्यप्रदेश का हो सकता है जबकि दूसरा नेता बाहर का हो सकता है। ऐसे में दिग्विजय सिंह को भी अपनी राजनीतिक सत्ता खिसकती नजर आ रही है। दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया से अपने गिले-शिकवे दूर कर एक साथ एक मंच पर आना चाहते हैं क्योंकि कहीं ना कहीं मौजूदा विधानसभा में ज्योतिरादित्य सिंधिया को दरकिनार कर कांग्रेस का कमलनाथ खेमा और दिग्विजय खेमा सरकार का संचालन सुचारू रूप से नहीं कर सकता है।
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गिले-शिकवे दूर करना या रणनीति ?
मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच कई बार कड़वाहटों की खबरें आई हैं। इन खबरों के बीच दोनों ही नेता सार्वजनिक रूप से कम मिलते हैं। इस मुलाकात का एक पहलू यह भी देखा जा रहा है कि विधायकों को एकजुट रखने के साथ दोनों नेता आपस में अपने गिले-शिकवे दूर करने की कोशिश करने में लगे हैं। राजनीतिक जानकारों के अनुसार, ज्योतिरादित्य सिंधिया, मध्यप्रदेश की सियासत से बाहर नहीं जाना चाहते हैं और मध्यप्रदेश में अपना दखल बनाए रखना चाहते हैं। वहीं, दिग्विजय भी एमपी की सियासत में सक्रिय हैं। दोनों ही जनाधार वाले नेता हैं और जनता के बीच इनकी पकड़ अच्छी है। ऐसे में दोनों नेता अपने गिले-शिकवे दूर कर एक साथ आकर सीएम कमलनाथ के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं।
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प्रदेश अध्यक्ष पर भी बन सकती है सहमति?
सिंधिया और दिग्विजय सिंह की मुलाकात का एक अहम पहलू प्रदेश अध्यक्ष भी हो सकता है। मध्यप्रदेश कांग्रेस का अगला अध्यक्ष कौन होगा इसको लेकर लंबे समय से खेमेबाजी देखने को मिल रही है। प्रदेश अध्यक्ष के लिए सिंधिया और दिग्विजय समर्थक कई नेताओं के नाम भी सामने आ चुके हैं ऐसे में दिग्विजय औऱ दिग्विजय प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा के लिए एक-एक नाम पर सहमति बना सकते हैं। दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के सीएम कमलनाथ प्रदेश अध्यक्ष के लिए आदिवासी चेहरा चाहते हैं। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा आदिवासी इलाके में जीत दर्ज की थी। जबकि लोकसभा में पार्टी आदिवासी इलाकों में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। ऐसे में कमलनाथ आदिवासियों की नाराजगी दूर करने के लिए आदिवासी चेहरे पर दांव लगाना चाहते हैं।
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राज्यसभा के लिए कई दावेदार?
दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश की राजनीति में सक्रिय हैं और इस समय वो केवल राज्यसभा सांसद हैं। ऐसे में ये माना जा रहा है कि दिग्विजय सिंह एक बार फिर से अपना दावा पेश कर सकते हैं। वहीं, अगर दिग्विजय सिंह अपना दावा पेश नहीं करते हैं तो वो पूर्व सीएम अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह का नाम आगे बढ़ा सकते हैं। अजय सिंह लोकसभा चुनाव में एक रैली के दौरान कह चुके हैं कि अगर मैं हार गया तो कार्यकर्ताओं का क्या होगा क्योंकि पार्टी मुझे तो राज्यसभा भेज देगी। अजय सिंह को दिग्विजय सिंह का करीबी भी माना जा रहा है। अजय सिंह का नाम मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की रेस भी भी आ चुका है। ऐसे में दोनों नेता मिलकर किसी एक नाम पर सहमति बना सकते हैं।
दूसरी तरफ सीएम कमल नाथ भी अपने खेमे के किसी नेता को राज्यसभा भेजने की कोशिश कर सकते हैं। हालांकि वो किसे भेजते हैं या किसके नाम का समर्थन करते हैं इसको लेकर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी लेकिन एक नाम का जिक्र किया जा सकता है वो नाम है पूर्व विधायक दीपक सक्सेना का। दीपक सक्सेना वही विधायक हैं जिन्होंने कमलनाथ के लिए अपनी विधानसभा सीट छोड़ी थी।
कौन सी सीटें हो रही हैं खाली
मध्यप्रदेश में राज्यसभा की 11 सीटें हैं। 3 सीटों का कार्यकाल 2020 में पूरा हो रहा है। जिन सांसदों का कार्यकाल पूरा हो रहा है उनमें कांग्रेस के दिग्विजय सिंह, भाजपा के प्रभात झा और पूर्व मंत्री सत्य नारायण जाटिया का है। भाजपा के खाते में एक और कांग्रेस के खाते में एक सीट जाएगी लेकिन तीसरी सीट को लेकर पेंच फंस सकता है। जहां भाजपा को मुश्किलों का सामना कर पड़ सकता है जबकि कांग्रेस के पास संख्या बल है।
क्या है राज्यसभा पहुंचने का गणित?
राज्यसभा सदस्यों के चुनाव में एक प्रत्याशी को जीतने के लिए कम से कम 58 विधायकों के वोटों की जरूरत है। 2018 के विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। जबकि कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं। भाजपा के पास 107 विधायक हैं। सपा, बसपा और निर्दलीय के सहारे कमलनाथ की सरकार चल रही है। ऐसे में भाजपा के पास अपने दो नेताओं को राज्यसभा भेजने के लिए पर्याप्त संख्याबल नहीं है।
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