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क्या दादी विजयाराजे की राह पर हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया? माधवराव ने भी की थी कांग्रेस से बगावत

ज्योतिरादित्य सिंधिया 1967 का इतिहास दोहराएंगे ?

भोपालAug 31, 2019 / 01:03 pm

Pawan Tiwari

क्या दादी विजयाराजे की राह पर हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया? माधवराव ने भी की थी कांग्रेस से बगावत

क्या दादी विजयाराजे की राह पर हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया? माधवराव ने भी की थी कांग्रेस से बगावत

भोपाल. मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर कांग्रेस की सियासत में अब गुटबाजी की खबरें आ रही हैं। वहीं, कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाराजगी की भी खबरें हैं। कहा जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ( Jyotiraditya Scindia ) ने प्रदेश अध्यक्ष के लिए पार्टी हाई कमान के सामने अपना दावा पेश किया है। वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी की खबरों के बीच जब उनके बेटे महाआर्यमन सिंधिया ने एक वीडियो पोस्ट किया। इस वीडियो के पोस्ट होने के बाद से मध्यप्रदेश की सियासत में अटकलों का दौर शुरू हो गया वहीं, दिल्ली से लेकर भोपाल तक कांग्रेस की सियासत में गहमा-गहमी का माहौल है। ज्योतिरादित्य सिंधिया की अटकलों के बीच कहा जा रहा कि क्या सिंधिया अपने पिता और दादी की राह पर चल रहे हैं? या फिर ये कहें की सिंधिया परिवार एक बार फिर से एक नई पटकथा लिख रहा है।

विजयाराजे सिंधिया ने कांग्रेस से की थी बगावत
सिंधिया परिवार की सियासत विजयाराजे सिंधिया के साथ शुरू हुई। विजयाराजे सिंधिया ही सिंधिया परिवार की पहली सदस्य थीं जिन्होंने सियासत की दुनिया में कदम रखा था। विजयाराजे सिंधिया ने अपनी राजनीतिक शुरुआत कांग्रेस से की थी। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सिंधिया परिवार के महाराजा जीवाजी राव सिंधिया को राजनीति में आने का ऑफिर दिया था लेकिन उनका झुकाव हिन्दू महासभा की तरफ था। जिस कारण से वो सियासत में नहीं आए। दबाव के कारण महारानी विजयाराजे सिंधिया सियासत में उतरी और कांग्रेस के टिकट पर 1957 में गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से चुनाव लड़ा। विजयाराजे सिंधिया ने हिन्दू महासभा के प्रत्याशी को चुनाव हराया और पहली बार संसद पहुंची। लेकिन वो बहुत दिनों तक कांग्रेस के साथ नहीं रह सकीं।
Jyotiraditya Scindia
दो कारणों से छोड़ी थी कांग्रेस
डीपी मिश्रा जब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री थे उस समय ग्वालियर में छात्रों की समस्या को लेकर छात्र आंदोलन हुआ। जिसमें पुलिस ने छात्रों पर बर्बरतापूर्वक गोलियां चलाई। दो छात्रों की मौत हे गई। राजमाता छात्रों के साथ थीं और डीपी मिश्रा उस छात्र आंदोलन को रौंदना चाहते थे। इस घटना से तत्कालीन कांग्रेसी नेताओं से राजमाता नाराज हो गईं थी। दूसरी घटना थी सरगुजा महाराज के घर पुलिस का कार्रवाई। राजमाता विजयाराजे सिंधिया इन दिनों भारत के सभी राजघरानों का नेतृत्व कर रहीं थी। इस दौरान सरगुजा महाराज के घर में पुलिस कार्रवाई करने पहुंची थी जिसका राजमाता ने खुला विरोध किया था।

1967 तक ये विरोध पूरी तरह से बगावत में बदल चुका था। 1967 में तब की राजमाता और कांग्रेस नेत्री राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने डीपी मिश्रा की जमीन हिला कर देश भर की सियासत में हलचल मचा दी थी। डीपी मिश्रा को सत्ता से बेदलख कर राजमाता ने गोविंद नारायण सिंह को मध्यप्रदेश का सीएम बना दिया था। इसके बाद राजमाता विजायराजे सिंधिया कांग्रेस छोड़ जनसंघ में शामिल हो गईं थी। 1967 का चुनाव राजमाता ने स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार के रूप में गुना-शिवपुरी से लड़ा और जीत दर्ज की। राजमाता विजयराजे सिंधिया भाजपा की संस्थापक सदस्य रहीं और अंतिम समय तक भाजपा में रहीं।
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माधवराव सिंधिया ने भी की थी बगावत
माधवराव सिंधिया ने अपनी राजनीति जनसंघ से शुरू की थी। 1971 के चुनाव में राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने अपने बेटे माधवराव सिंधिया को जनसंघ के टिकट पर गुना से चुनाव लड़ाया। बाद में वो कांग्रेस में शामिल हो गए थे। माधवराव सिंधिया कांग्रेस से नाराज होकर बगावत पर उतरे थे। उन्होंने ए पार्टी बनाई थी। 1996 में माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस का दामन छोड़कर खुद की बनाई पार्टी मध्यप्रदेश विकास कांग्रेस से चुनाव लड़ा। वो इस बार विजयी रहे। हालांकि बाद में उन्होंने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया।
क्या दादी की तरह बगावत की राह में सिंधिया
ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी विजयराजे सिंधिया ने सत्ता परिवर्तन करते हुए गोविंद नारायण सिंह को मध्यप्रदेश का सीएम बनाया था। अब ज्योतिरादित्य सिंधिया भी नाराज बताए जा रहे हैं। क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया 1967 की तरह मध्यप्रदेश की सियासत में कुछ कर सकते हैं। राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने 36 कांग्रेस विधायकों को लेकर कांग्रेस की ही सरकार गिरा दी थी। मध्यप्रदेश में इस वक्त किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं है। कांग्रेस निर्दलीय और बसपा, सपा के सहारे सरकार चला रही है। वहीं, मध्यप्रदेश सरकार तीन गुटों में बांटी हुई है। ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमल नाथ और दिग्विजय सिंह। ऐसे में अब देखना होदा कि ज्योतिरादित्य आगे क्या करते हैं या फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी की जो अटकलें हैं वो सिर्फ अटकलों तक ही रहेगा।

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