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भोपाल

दिग्विजय के भाई ने कहा- कमलनाथ सरकार यह सिद्ध करे की वह ईमानदार है, कांग्रेस अध्यक्ष ऐसा हो जो मोदी से लड़ सके

कांग्रेस का अब वो समय चला गया है जब कांग्रेस का एकछत्र राज था। अब हमको अपनी कार्यप्रणाली बदलनी पड़ेगी।
सत्ता और संगठन में समन्वय होना बहुत जरूरी है।
लोकसभा चुनावों में टिकट का जो चयन हुआ उसमें हमने बहुत बड़ी गलती की।
कमलनाथ को स्पष्टीकरण देना चाहिए कि उनके करीबियों के यहां छापे क्यों पड़े।

भोपालJul 23, 2019 / 03:33 pm

Pawan Tiwari

laksman singh
भोपाल. कांग्रेस विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ( Digvijaya Singh ) के भाई लक्ष्मण सिंह को अपनी बेबाकी के लिए जाना जाता है। इसी बेबाकी के साथ उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि यह सरकार सिद्ध करे कि वह ईमानदार है और उसकी छवि उज्जवल है। अगर हम ऐसा नहीं कर पाए तो जनता हमें बेदखल कर देगी। राजपरिवारों की राजनीति पर कहा कि अब उनकी पुश्तैनी राजनीति का समय खत्म हो गया है। नेताओं को हुजूर-हुकुम की मानसिकता से बाहर आना चाहिए। मुख्यमंत्री कमल नाथ ( Kamal Nath ) पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि उन्हें सबके सामने आकर स्पष्टीकरण देना चाहिए कि आखिर उनके करीबियों पर छापे की नौबत क्यों आई। लक्ष्मण सिंह ने पत्रिका के शैलेंद्र तिवारी से बात की, पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश…
Q- ऐसा क्यों हुआ कि कांग्रेस में एक बार या दो बार के विधायक मंत्री बन गये और वरिष्ठ नेता दरकिनार कर दिए गए?
A- मंत्री बनाना या नहीं बनाना यह दुर्भाग्यवश कांग्रेस ( Congress ) में बंद कमरों में तय होता रहा है। इसमें यह नहीं देखा जाता है कि कौन कितनी बार जीता है या किस का अनुभव क्या है। पार्टी ने इसकी वजह से नुकसान भी बहुत उठाया है कि चंद लोग बंद कमरे में बैठकर या पांच सितारा होटल में बैठकर टिकट तय कर लेते हैं, मंत्रिमंडल तय कर लेते हैं। ऊपर से जो निर्णय होते आए हैं उसका परिणाम है कि कांग्रेस पार्टी आज जहां है। अगर नीचे से जो सुझाव आएं उन पर निर्णय लें तो आज जो दुर्दशा कांग्रेस की हुई है वो नहीं होती। कांग्रेस तभी खड़ी होगी जब निर्णय नीचे से होंगे। अगर पांच सितारा होटल में बैठकर बंद कमरों में बैठकर मुट्ठी भर लोगों ने निर्णय लए तो भविष्य मुझे अच्छा नहीं दिख रहा है।
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Q- बंद कमरों में निर्णय लेने वालों की कोर कमेटी है उसमें आपके बड़े भाई दिग्विजय सिंह भी शामिल हैं?
A- मैं इससे इंकार नहीं कर रहा हूं, लेकिन कांग्रेस का अब वो समय चला गया है जब कांग्रेस का एकछत्र राज था। अब हमको अपनी कार्यप्रणाली बदलनी पड़ेगी। कार्यकर्ता का उत्साह बढ़ता है ऊपर जो नेता हैं उनको देखकर उनकी कार्यप्रणाली को देखकर। अगर हम कार्यकर्ताओं के उत्साह को नहीं बढ़ा पाए तो आगे नुकसान तय है।
 

Q- यह बात कही जा रही है कि प्रियव्रत और जयवर्धन के लिए आप की कुर्सी आते-आते खींच ली गई कितनी सच्चाई है इसमें?
A- महत्वपूर्ण यह नहीं है के प्रियव्रत हों या जयवर्धन ( Jaivardhan Singh ) हों या फिर लक्ष्मण सिंह हों। महत्वपूर्ण यह है कि यह कुर्सी पर बैठ कर क्या करते हैं। क्या ये कुर्सी पर बैठकर हमारे कार्यकर्ता का उत्साह बढ़ा रहे हैं, अगर बढ़ा रहे हैं तो बहुत अच्छी बात है। अगर कार्यकर्ताओं का उत्साह नहीं बढ़ रहा है तो चिंता की बात है।
Q-विधानसभा में कार्यकर्ता एकजुट होकर आपको जिताता है और आप सरकार बनाते हैं, लेकिन लोकसभा में आप वो सीटें भी हार जाते हैं जिनके बारे में यह कहा जाता था कि ये सीटें कांग्रेस कभी हार नहीं सकती?
A- यह स्वाभाविक है कि कार्यकर्ता भी निराश है। उसका उत्साह बढ़ाने के लिए हमारी सरकार कुछ ऐसे काम करे, ऐसी योजनाएं लाकर दे जनता को, जिससे कि वह चौराहे पर जाकर खड़े होकर कह सकें कि ये हमारी सरकार ने किया है। सात महीने बीत गए हैं, लेकिन हम आज उस स्थिति में नहीं हैं।
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Q- मंत्रियों के काम को लेकर एक धारणा बनती दिखाई दे रही है कि कमाओ, माल बोटोरो, एक डिलीवरी सिस्टम होना चाहिए था क्या आपको दिख रहा है?
A- दुर्भाग्यवश जो हमारे मंत्री हैं वह यह तबादलेबाजी में बहुत ज्यादा उलझ गए हैं, उनकी धारणा है कि मेरा अफसर होना चाहिए या हमारी पार्टी से संबंधित अफसर होना चाहिए। अफसर की क्या निष्ठा है, क्या सोच है यह उसका निजी मामला है। आपकी सरकार बदलने से वो विचारधारा नहीं बदलेगा, लेकिन हां शासकीय योजनाओं का क्रियान्वयन उसके द्वारा होना चाहिए। अगर वह करता है तो ठीक है, ऐसे में उसकी निष्ठा कहीं भी हो उससे हमें मतलब नहीं होना चाहिए।
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Q- लोकसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी से जिम्मेदारी लेते हैं और इस्तीफा देते हैं, आपने उसको लेकर ट्वीट भी किया, तो नए लोगों में कौन राहुल गांधी या कोई और?
A- राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) पार्टी का हिस्सा हैं वो राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं, उन्होंने अभी पार्टी से इस्तीफा दिया है। ऐसे बहुत कम लोग हैं जो सत्ता छोड़ देते हैं। मैं समझता हूं जो नया अध्यक्ष बने वह एक के समय अवधि के लिए बने, जैसे और पार्टियों में होता है। हम भी तीन साल के लिए बनाएं। जो भी अध्यक्ष बने वह अपने घर के दरवाजे और कार्यालय के दरवाजे खुले रखे कार्यकर्ताओं के लिए। कोई भी कार्यकर्ता उससे मिलने दिल्ली जाए तो उससे मिलकर अगली ट्रेन से वापस आ जाए। यह परिवर्तन अगर कांग्रेस चलाएगी तो कांग्रेस पार्टी खड़ी होगी और अगली बार सत्ता में आएगी।
Q- मध्य प्रदेश के लिए क्या कहेंगे, यहां भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए कमलनाथ को?
A- वे ( कमल नाथ ) स्वयं कह चुके हैं कि किसी और को अध्यक्ष बनाओ और ठीक है बिल्कुल क्योंकि दो-दो जवाबदारी उनके लिए निभाना कठिन होगा। अब जो भी अध्यक्ष पार्टी का बने वो 24 घंटे का समय पार्टी को दे। हमारे जो महासचिव को कम से कम पार्टी कार्यालय में ही निवास करना चाहिए। जिससे वह 24 घंटे कार्यकर्ताओं के लिए उपलब्ध रहें। सत्ता और संगठन में समन्वय होना बहुत जरूरी है। अभी क्या हो रहा है कि जिन्होंने चुनाव में मेहनत की है जो संगठन के लोग हैं अभी वो खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं क्योंकि दोनों के बीच अभी बिल्कुल भी समन्वय नहीं है।
 

Q- क्या आपको लगता है कि दिग्विजय सिंह को भोपाल से चुनाव लडऩा चाहिए था?
A- अगर लड़ना था तो पहले से तैयारी करनी थी, निर्णय बहुत बाद में हुआ, और भोपाल ऐसी सीट है जहां पिछले 30 साल से कांग्रेस जीती नहीं। जानबूझकर यहां का संगठन ऐसा रखा है कि जो कमजोर हो क्या कारण रहे आप भी जानते हैं मैं भी जानता हूं। पहले तो लडऩा है नहीं लडऩा है यही निर्णय बहुत बाद में हुआ।
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Q- आप ने एक ट्वीट किया था कि चुनाव के समय ज्यादातर लोग मंदिर जाते हैं, ज्यादा सांप्रदायिक हो जाते हैं, लेकिन चुनाव से पहले दिग्विजय सिंह नर्मदा यात्रा करते हैं और फिर मंदिरों का चक्कर लगाते हैं?
A- भाई साहब (दिग्विजय सिंह) धार्मिक प्रवत्ति के हैं वो तो शुरु से ही मंदिर जाते रहे हैं, यह उनके लिए कोई नई बात नहीं थी। मैंने यह बात एक सामान्य तौर पर कही थी। मैंने ऐसे लोगों के लिए कहा था जो सामान्य तौर पर मंदिर नहीं जाता है और चुनाव के समय मंदिर ही मंदिर जाता है। मेरा मानना है कि आस्था व्यक्तिगत विषय है, लेकिन बाबाओं के चक्कर में नहीं फंसना चाहिए।
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Q- आप जब ये सारी बातें बोलते हैं तो कहीं ना कहीं तो दिग्विजय सिंह घूम फिरकर उसमें फंसते दिखाई देते हैं, क्योंकि कंप्यूटर बाबा और मिर्ची बाबा के दांव में वही फंसे हुए थे?
A – ये उनकी सोच है और मैं उसमें दखल नहीं देता वो मेरे बड़े भाई हैं, लेकिन जहां तक मेरा सवाल है तो ये मिर्ची यज्ञ मैं समझता ही नहीं हूं कि ये क्या है। न मुझे किसी से कोई जलन है और न किसी को मुझसे जलन है। अगर मेरे मन में ईर्ष्या नहीं है तो मैं मिर्ची यज्ञ क्यों रखूं। मैं यज्ञ करता हूं जब आवश्यकता होती है, लेकिन ये मिर्ची यज्ञ मेरी समझ में नहीं आया।
Q- 7 अप्रैल 2019 को कमलनाथ के करीबियों के ठिकानों पर छापा पड़ता है, 9 तारीख को आपका ट्वीट आता है, छोटे को तो जेल, बड़े चोर को तो बेल, नेता किसी भी दल के हों उन्हें सजा दो सजा दो?
A- बिल्कुल किया था, व्यापम में सबूत हैं, प्रमाण हैं, आज क्या हो रहा है मामला ठंडा है, क्यों है मुझे नहीं मालूम। ईटेंडर घोटाला में सबूत हैं क्यों कार्यवाही आगे नहीं बढ़ रही है। अवैध माइनिंग इतना हम बोले उसके खिलाफ आज भी हो रही है? जनता मुझसे सवाल करती है इसलिए मैं आपके माध्यम से सरकार से सवाल कर रहा हूं। हमें कहीं न कहीं यह दिखाना होगा कि जो हमने पहले कहा है या जो हम आज कह रहे हैं, हम उस पर काबिज हैं। मेरा कमलनाथ से मतलब नहीं था, छापेमारी पूरे हिंदुस्तान में चल रही थी। छापेमारी की नौबत क्यों आई क्यों ऐसा हुआ, इस पूरे मामले में कमलनाथ जी को भी स्पष्टीकरण देने की जरूरत है। आप एक बड़े पद पर बैठे हैं इसलिए एक स्वच्छ छवि आपकी होनी चाहिए। कहीं ना कहीं अनुशासन, ईमानदारी तो दिखना चाहिए। मैं चाहता हूं कि यह सरकार यह सिद्ध करे कि वह ईमानदार है, एक उज्जवल छवि है। जनता ने अवसर दिया है, अगर इस तरह काम करेंगे और इस तरह की छवि रखेंगे तो आगे अवसर मिलेगा और नहीं करेंगे तो सरकार बदल जाएगी।
Q- लोकसभा चुनाव के नतीजे देखने के बाद क्या ये कहा जा सकता है कि राजगढ़ में दिग्विजय सिंह और लक्ष्मण सिंह का प्रभाव कम होता जा रहा है?
A- टिकट का जो चयन हुआ उसमें हमने बहुत बड़ी गलती की, और फिर मैं यह कहूंगा कि यह चयन नीचे लोगों से पूछ कर नहीं हुआ दिल्ली में बंद कमरे में हुआ, बंद कमरे के जितने फैसले हैं अब वो काम नहीं करेंगे।
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Q- कांग्रेस के अंदर एक ये बड़ी चीज है कि यह मेरा मेरे इलाके की सीट है और तो मैं ही टिकट तय करूंगा?
A- इलाका किसी का नहीं होता है इलाका तो जनता का होता है हमारा क्या है, और क्षत्रपों का नतीजा हमारे सामने है, न ग्वालियर चंबल में आए, न सिंधिया जी जीते, न भाईसाहब जीत पाए, कोई नहीं जीत पाया क्योंकि ये क्षत्रप का समय नहीं है। आप कार्यकर्ताओं की भावनाओं से अवगत होइए उनसे मिलिए उनसे पूछिए और फैसला उन पर छोड़ दीजिए। आपको आपके काम करने की शैली बदलनी पड़ेगी तभी जाकर कुछ अच्छे नतीजा आएंगे।
Q- राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए अगर आपको दो च्वॉइस दी जाएं एक ज्योतिरादित्य सिंधिया और दूसरे दिग्विजय सिंह तो आप किस का समर्थन करेंगे?
A- दोनों को ही नहीं बनाना चाहिए और दोनों बनना भी नहीं चाहते, न ज्योतिरादित्य सिंधिया ( Jyotiraditya Scindia ) जी बनना चाहते हैं और न ही दिग्विजय सिंह जी, दोनों ही इस रेस से बाहर हैं। मैं फिर कहूंगा कि देश भर में एक ओपिनियन पोल कराइए, और एक ऐसे व्यक्ति को दीजिए जो आज पार्टी को ऐसी स्थिति में संभाल सके। ऐसा चेहरा चाहिए जो मोदी जी से लड़ सके, क्योंकि देश को मोदी जी डिक्टेटरशिप की तरफ ले जा रहे हैं उनको रोकना बहुत जरूरी है।
Q- राजनीति के केंद्र में ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह, दोनों के रिश्तों को कैसे देखेंगे?
A- राज परिवार वालों का राजनीति में समय लगभग समाप्त हो चुका है, पुश्तैनी राजनीति का समय चला गया है। आज बहुत प्रतिभाशाली नौजवान बच्चे-बच्चियां उभर कर आ रहे हैं, ग्रामीण क्षेत्रों से, छोटे-छोटे गांवों, आप उनको रोक नहीं सकते। वह आगे आएंगे और उनका समय आएगा और आ गया है, इसलिए आप अगर अपने आप को उनकी शैली में ढालकर काम करेंगे तो जनता आप को पूछेगी। अगर आप हुजूर-हुकुम की सोच में ही पड़े रहेंगे तो गड़बड़ है।

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