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कोरोना के कारण विधानसभा का मानसून सत्र स्थगित, सर्वदलीय बैठक में हुआ फैसला

शुक्रवार को हुई सर्वदलीय बैठक में कोरोना के कारण सत्र टालने पर सभी ने दी सहमति...।

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भोपाल

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Manish Geete

Jul 17, 2020

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भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोना के संक्रमण ने रफ्तार पकड़ ली है। आंकड़ों को देखते हुए सरकार भी चिंतित हो गई है। शुक्रवार को हुई सर्वदलीय बैठक में 20 जुलाई से शुरू होने वाला विधानसभा सत्र स्थिगत करने का फैसला ले गया।

मुख्यमंत्री शिवराज सिहं चौहान ने कहा कि ऐसे परिस्थितियों में सत्र चलाना उपयुक्त नहीं होगा। असामान्य परिस्थितियां है। बाकी संवेधानिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बैठक होती रहेंगी। सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने की। 20 जुलाई से विधानसभा का सत्र शुरू होना था। वहीं 21 जुलाई को बजट भी पेश करने की तैयारी की जा रही थी।

प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने कहा कि हमारी विधानसभा में विधायकों के साथ ही करीब एक हजार लोग विधानसभा में आएंगे। सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन हो सकता है। ऐसी स्थिति में कोरोना की चैन तोड़ने के लिए यह कदम उठाया गया है। शर्मा ने कहा कि सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है।

देखें वीडियो

https://youtu.be/dn0QTDH3RO4

पहले ही थी आशंका

इससे पहले कोरोनाकाल के कारण भी बजट सत्र को टालने पर भी चर्चा की जा रही थी। मध्यप्रदेश की प्रभारी राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात कर इस बजट के लिए मंजूरी ले ली गई थ।

-उस समय बताया गया था कि पांच दिवसीय मानसून-बजट सत्र में पहले दिन श्रद्धांजलि के बाद विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष सत्र की कार्यवाही शुरू करेंगे। दूसरे दिन 21 जुलाई को बजट पेश कर दिया जाएगा। इससे पहले कैबिनेट की बैठक भी होगी।

इससे पहले नए वित्तीय वर्ष में खर्च चलाने के लिए राज्यपाल लालजी टंडन की ओर से अध्यादेश के जरिए राज्य शासन को करीबन एक लाख 66 करोड़ 74 लाख 81 हजार रुपए के लेखानुदान की अनुमति दी गई थी।

यह भी है खास
-सरकार की ओर से वर्ष 2019-20 के बजट पुनरीक्षण के साथ मौजूदा वित्तीय वर्ष 2020-21 का बजट पेश होना है।

-यह तय है कि कोरोना संकट का असर बजट पर भी पड़ेगा। यहां इस बार बजट का आकार घट सकता है, वहीं विभागों के बजट प्रावधानों में भी बड़े पैमाने पर खर्चों में कटौती की जा सकती है।

-माना जा रहा है कि इस साल शिवराज सरकार (shivraj govt) का 50 हजार करोड़ रुपए से अधिक का हो सकता है, इसमें अप्रैल में कर्मचारिओं को दिए जाने वाले वेतन और पेंशनर की पेंशन की राशि भी सरकार की प्राथमिकता है।