भाजपा हाईकमान की नजर अब मध्यप्रदेश और उन राज्यों पर है, जहां चुनाव होने वाले हैं। सभी राज्यों में अब चुनावी रणनीति के मुताबिक ही संगठन का चेहरा तैयार किया जाएगा। मध्यप्रदेश के बड़े नेता चाहते हैं कि वे प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के नेतृत्व में ही चुनाव हो, लेकिन पार्टी का ही एक वर्ग और हाईकमान खुद चाहता है कि अगला चुनाव किसी ऊर्जावान नेता के नेतृत्व में लड़ा जाए।
नंदकुमार सिंह चौहान को बदलने की सुगबुगाहट इसलिए भी है कि पार्टी में काफी समय से खींचतान और अंतर्कलह बढ़ गई है। इससे संगठन कमजोर ही हुआ है। इसके अलावा कई बार चौहान का विवादास्पद बयान भी आने से संगठन की किरकिरी ही हुई है। इन्हीं वजहों से भाजपा को हाल ही में हुए अटेर और चित्रकूट चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा है।
प्रदेश अध्यक्ष चौहान के स्थान पर कैबिनेट मंत्री नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह और कैलाश विजयवर्गीय का नाम लिया जा रहा है। पिछले साल उत्तरप्रदेश और गुजरात चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नरोत्तम मिश्र और भरोसेमंद भूपेंद्र सिंहको भी संगठन प्रमुख बनाया जा सकता है। इसके अलावा पार्टी के कुछ नेताओं की मांग चली तो केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को फिर से प्रदेश भाजपा में वापस बुलाया जा सकता है। तोमर दो बार मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रह चुके हैं। 2008 और 2013 के चुनाव तोमर के कार्यकाल में ही हुए थे।
मध्यप्रदेश में मंत्री रह चुके कैलाश विजयवर्गीय को भाजपा के केंद्रीय संगठन में महामंत्री बनाया गया है। उन्हें विभिन्न राज्यों का भी प्रभार देकर चुनाव लड़ा गया था। सूत्रों के मुताबिक कैलाश विजयवर्गीय को मध्यप्रदेश में फिर सक्रिय किया जा सकता है। इसके अलावा मध्यप्रदेश के दिग्गज नेताओं को राष्ट्रीय संगठन में शामिल किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार इस बार नए चेहरों को भी बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। इस फेरबदल में उन लोगों को भी जिम्मेदारी मिल सकती है जिन्होंने पिछले लगातार दो चुनावों में भाजपा को जीत दिलाई है।
हवा में ही रहने तो बातें
इधर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कैलाश विजयवर्गीय का कहना है कि हवाई बातों को हवा में ही रहने देना चाहिए। वो एक दिन उड़ते-उड़ते थककर बैठ जाएगी।