असहनीय प्रसव पीड़ा के बाद जहां ज्यादातर महिलाएं खड़ी तक नहीं हो पातीं वहीं मुंगावली की मनीषा अहिरवार प्रसव के दूसरे दिन ही परीक्षा देने कई किमी की दूरी तय करके परीक्षा केंद्र पहुंची। प्रसव के बाद अस्पताल में विश्राम करने की बजाय वे पिपरई गई और पूरा पेपर दिया।
यह भी पढ़ें : Phalodi Satta Bazar – बीजेपी को टेंशन! जानिए एमपी में किसको कितनी सीटें दे रहा फलोदी का सट्टा बाजार मनीषा अहिरवार मुंगावली के सिविल अस्पताल में प्रसव वार्ड में भर्ती थीं। शुक्रवार को उनकी बीए अंतिम वर्ष की डिजिटल मार्केटिंग की परीक्षा थी लेकिन उनके साथ एक दिक्कत थी। एक दिन पहले ही उनकी डिलीवरी हुई थी पर वे हर हाल में परीक्षा देना चाहतीं थीं। ऐसे में अस्पताल ने उन्हें विशेष तौर पर अनुमति दे दी।
उन्होंने मुंगावली से 20 किमी दूर पिपरई के शासकीय महाविद्यालय में अन्य परीक्षार्थियों के साथ पेपर दिया। कॉलेज ने भी उनका विशेष ध्यान रखा और अलग से बैठा दिया। परीक्षा के दौरान उनके स्वास्थ्य को देखते हुए पंखे लगाए और उबले हुए पानी की भी व्यवस्था की। मनीषा ने पूरे ढाई घंटे में पेपर हल किया और दोबारा 20 किलोमीटर की दूरी तय कर अपने बच्चे के पास पहुंच गई। इस प्रकार परीक्षा देने के लिए उन्होंने 40 किमी का सफर तय किया।
मनीषा का मायका पिपरई नगर में ही है। विवाह के बाद वे मुंगावली में ही रह रही हैं। गुरुवार को प्रसव पीड़ा के बाद उन्हें मुंगावली सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। अगले दिन शुक्रवार को वे नवजात को अपनी मां यानि उसकी नानी के साथ अस्पताल में छोड़कर पेपर देने चली गईं।
मनीषा अहिरवार के अनुसार साल भर की पढ़ाई को हम बेकार नहीं कर सकते थे। इसलिए हम डिलीवरी के बाद भी पेपर देने पहुंचे। मनीषा के मुताबिक कोई भी महिला परेशानी के समय सबकुछ भगवान के भरोसे छोड़कर अपना कार्य कर सकती है।
इधर कॉलेज के प्रोफेसर्स ने मनीषा के जज्बे को सराहा। प्रभारी प्राचार्य राजमणि यादव ने कहा कि जीवन, परीक्षा से बढ़कर है पर मनीषा ने गजब का साहस दिखाया। शिक्षा के प्रति उनके जैसी प्रतिबद्धता प्रत्येक महिला में आ जाए तो भारत को विश्व गुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता।