आईआईएसईआर भोपाल का यह शोध बायोरेक्सिव जर्नल में प्रकाशित हुआ है। गिलोय के औषधीय गुणों के संबंध में तो कई शोध हो चुके हैं, लेकिन जीनोम सीक्केंस का यह पहला शोध बताया जा रहा है। गौरतलब है कि आयुष मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कोरोना संक्रमण के दौरान गिलोय के उपयोग की सिफारिश भी की गई थी। इससे मरीजों को फायदा भी हुआ।
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इस शोध में शामिल पीएचडी स्कॉलर श्रुति महाजन ने बताया कि गिलोय औषधीय गुणों के बावजूद इसके जीनोम अनुक्रम की अनुपलब्धता के कारण इसके औषधीय गुणों का जीनोमिक आधार पर अध्ययन नहीं हो पा रहा था। इसलिए गिलोय का जीनोम अनुक्रम भविष्य में कोविड जैसी बीमारियों के लिए संभावित चिकित्सकीय एजेंट के रूप में एक सफलता हो सकती है।
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माइक्रोबियल तत्व होते हैं
शोध टीम का नेतृत्व करने वाले आइआइएसईआर के जीव विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विनीत शर्मा के अनुसार गिलोय में एंटी-माइक्रोबियल तत्व होते हैं। इसलिए इसका उपयोग त्वचा रोगों, यूरिनरी ट्रेक्ट के संक्रमण में किया जाता है। यह एचआइवी पॉजिटिव प्रीजों के लक्षणों को कम करने के लिए भी काम आता है। इसकी एंटी ऑक्सीडेंट क्षमता के कारण यह कैंसर के इलाज में भी उपयोग किया जाता है।
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जीनोम सीक्वेंसिंग का मिलेगा लाभ
डॉ.शर्मा के अनुसार गिलोय के जीनोम की उपलब्धता इसके जीनोमिक और औषधीय गुणों के बीच की कड़ी को पाटने में मदद करेगी। यह अध्ययन इसके औषधीय गुणों के जीनोमिक आधार की खोज के लिए रास्ता बनाएगा।