– इस तरह बांटी हैं श्रेणी
पहली श्रेणी में मंजूर प्रोजेक्ट रखे जा रहे हैं। इनपर आगे का काम तेजी से किया जाना है।
दूसरी श्रेणी में उन प्रोजेक्ट को रखा जाएगा, जिनमें उद्योग निवेश पर सहमत है, लेकिन मंजूरी के लिए सरकार के स्तर पर प्रोजेक्ट का अध्ययन होना है। इसमें नीतिगत और छूट संबंधित निर्णय लेना बाकी है।
तीसरी श्रेणी में ऐसे प्रस्ताव रखे जाएंगे, जो निवेश की रुचि दिखा चुके हैं, लेकिन प्रोजेक्ट के स्तर पर नहीं पहुंचे हैं। इनको निवेश के लिए तैयार करने पर काम होगा।
चौथी श्रेणी में वे उद्योग शामिल हैं, जो पहले से प्रदेश में उद्योग संचालित कर रहे हैं और प्रोजेक्ट बढ़ाना चाहते हैं। इसमें कुछ दूसरी जगह पर प्रोजेक्ट लगा रहे हैं तो कुछ मौजूदा स्थान पर ही प्रोजेक्ट को विस्तार दे रहे हैं।
– मॉनिटरिंग का अलग सिस्टम
निवेश प्रस्तावों की मॉनिटरिंग के लिए सरकार पूरा सिस्टम अलग रखेगी। इसमें विभाग को हर हफ्ते अपडेट रिपोर्ट देना होगी। मुख्यमंत्री कमलनाथ हर महीने इन प्रस्तावों की समीक्षा करेंगे। उन्होंने दो साल यानी 730 दिन के भीतर निवेश को धरातल पर लाने का लक्ष्य रखा है, इस कारण हर महीने के लक्ष्य तय करके काम होगा। इन्हें खुद सीएम मॉनीटर करेंगे।
मुख्यमंत्री ने सेक्टरवाइज मीटिंग की भी तैयारी की है। इस पर झाबुआ विधानसभा उपचुनाव के बाद काम शुरू होगा। इसके लिए सीएम ने सबसे पहले फॉर्मा सेक्टर की एसोसिएशन से बात करने के लिए विभाग को कह दिया है। झाबुआ रिजल्ट के बाद दो से तीन सेक्टर आधारित उद्योगों के साथ सीएम खुद मुलाकात करके निवेश को लेकर संवाद शुरू करेंगे।
– ये अहम प्रोजेक्ट लक्ष्य में शामिल रहेंगे
सीमेंट : इंडिया सीमेंट के प्रोजेक्ट को लक्ष्य तय करके काम होगा। 6000 करोड़ के दूसरे भी प्रस्ताव हैं।
एआइ-आइटी : नार्वे की कंपनी के आष्टा के पास के डाटा सेंटर को लाना। 6000 करोड़ से ज्यादा के प्रस्ताव हैं।
लॉजिस्टिक : रिलायंस के भोपाल में नेशनल डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर व 44 अन्य सेंटर को तय लक्ष्य में पूरा करना।
सोलर ऊर्जा : इंदिरा सागर प्रोजेक्ट के लिए नवकरणीय ऊर्जा के प्रस्ताव लाना। विभिन्न प्रस्तावों पर काम करना।
फाइबर-कैमिकल : इजराइल की कंपनी के निवेश को धरातल पर उतारना। कंपनी इंदौर प्रोजेक्ट पर सहमत है।
टायर सेक्टर : 1500 करोड़ का रॉलसन और 1500 करोड़ का अन्य प्रोजेक्ट। इनके लक्ष्य तय करना।
फूड प्रोसेसिंग : 3000 करोड़ से ज्यादा के प्रस्ताव। इनमें तीन प्रस्ताव मंजूरी के स्तर पर। इनके लक्ष्य तय होना।
टेक्सटाइल : 6000 करोड़ से ज्यादा के प्रस्ताव। इनमें एक दर्जन प्रस्तावों को लक्ष्य तय करके काम करना।