भोपाल

11 देशों में फैल चुके मंकी पॉक्स का एमपी में अलर्ट, मॉनिटरिंग शुरू, जानिए क्या हैं लक्षण

लगातार बढ़ रहे खतरे को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से मध्य प्रदेश को भी मंकी पॉक्स को लेकर खास सावधानी बरतने के निर्देश दिए हैं।

भोपालMay 23, 2022 / 10:57 am

Faiz

11 देशों में फैल चुके मंकी पॉक्स का एमपी में अलर्ट, मॉनिटरिंग शुरू, जानिए क्या हैं लक्षण

भोपाल. विश्वभर में तंडव मचाने वाली कोरोना महामारी की दहशत न तो अबतक लोगों के जहन से कम हो सकी है और न ही पूरा तरह से लोगों को इस महामारी से छुटकारा मिल सका है। इसी बीच एक और संक्रामक बीमारी ने दुनिया के कई देशों में कोहराम मचा दिया है। बता दें कि, अबतक दुनियाभर के 11 देशों में इसके मरीजों की पुष्टि की जा चुकी है। हम बात कर रहे हैं ‘मंकी पॉक्स’ की। लगातार बढ़ रहे खतरे को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से मध्य प्रदेश को भी खास सावधानी बरतने के निर्देश दिए हैं।

दरअसल, कोरोना महामारी के बाद से स्वास्थ विभाग काफी सावधानी बरत रहा है। इस बीमारी के फैलने की आशंका को देखते हुए विभाग की ओर से उन राज्यों को अलर्ट मोड पर लिया गया है, जहां विदेशों विदेश से आने वाले यात्रियों की संख्या अधिक है। ऐसे लोगों की निगरानी तेज कर दी गई है। इंदौर, भोपाल सहित प्रदेश के एयरपोर्ट्स पर मॉनिटरिंग शुरू हो गई है। मध्य प्रदेश स्वास्थ विभाग की मानें तो विदेशों से आने वाले (खासकर अफ्रीकी देश) यात्रियों की मॉनिटरिंग की जा रही है। फिलहाल, अबतक तो कोई संदिग्ध नहीं मिला है। लेकिन, संदिग्ध मरीज लगने पर उसके सैंपल की जांच कराई जाएगी। इस जांच रिपोर्ट को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे भेजा जाएगा।

 

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संक्रामक बीमारी है मंकी पॉक्स

मरीज के घाव से निकलकर यह वायरस आंख, नाक और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। इसके अलावा बंदर, चूहे, गिलहरी जैसे जानवरों के काटने से या उनके खून और बॉडी फ्लुइड्स को छूने से भी मंकी पॉक्स के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। जानकारों की मानें ठीक से मांस पका कर न खाने या संक्रमित जानवर का मांस खाने से भी व्यक्ति इस बीमारी की चपेट में आ सकता है।


सबसे पहले यहां मिला था पहला संक्रमित

पहली बार साल 1958 में ये वायरल इन्फेक्शन बंदर में पाया गया था। इंसानों में पहली बार ये बीमारी 1970 में सामने आई थी। 2017 में नाइजीरिया में मंकी पॉक्स का सबसे बड़ा आउटब्रेक हुआ था। खास बात ये है कि, उस दौरान 75 फीसदी मरीज पुरुष थे। ये एक वायरल इन्फेक्शन है, जिसने अबतक अधिकतर मध्य और पश्चिम अफ्रीकी देशों में अपना जोर दिखाया है।

 

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अबतक इन देशों में मिल चुके हैं मंकी पॉक्स संक्रमित

ब्रिटेन में इसका पहला मरीज 7 मई को मिला था। फिलहाल यहां मरीजों की कुल संख्या 9 है। वहीं, स्पेन में 7 और पुर्तगाल में 5 मरीजों की पुष्टि हुई है। अमेरिका, इटली, स्वीडन, फ्रांस, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया में मंकी पॉक्स के 1-1 मामले सामने आए हैं। साथ ही कनाडा में 13 संदिग्ध मरीजों की जांच की जा रही है। बेल्जियम में शुक्रवार को 2 मामलों की पुष्टि हुई है।


समलैंगिकों पर पड़ रहा भारी

मीडिया रिापाोर्ट्स में यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (UKHSA) का हवाला देते हुए कहा है कि, ब्रिटेन में अब तक मिले मंकी पॉक्स के ज्यादातर मामलों में मरीज वे पुरुष हैं, जो खुद को ‘गे’ या बायसेक्शुअल आइडेंटिफाई करते हैं। हालांकि, अबतक मंकी पॉक्स को यौन संक्रामक बीमारी नहीं माना गया है, लेकिन ऐसा हो सकता है कि समलैंगिकों में ये सेक्शुअल कॉन्टैक्ट से फैलती हो। हालांकि, सामने आए मामलों को देखते हुए एजेंसी की ओर से समलैंगिक पुरुषों को आगाह रहने की भी नसीहत की है।


ये हैं मंकी पॉक्स के लक्षण

मंकी पॉक्स के लक्षण संक्रमण के 5वें दिन से 21वें दिन तक आ सकते हैं। शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। इनमें बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमर दर्द, कंपकंपी छूटना, थकान और सूजी हुई लिम्फ नोड्स शामिल हैं। इसके बाद चेहरे पर दाने उभरने लगते हैं, जो शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल जाते हैं। संक्रमण के दौरान यह दाने कई बदलावों से गुजरते हैं। आखिर में चेचक की तरह ही पपड़ी बनकर गिर जाते हैं।

 

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