जबकि इसी मामले में भाजपा के चुनाव आयोग प्रकोष्ठ के प्रभारी एवं रिटायर्ड आईएएस एसएस उप्पल के खिलाफ पहले ही एफआईआर दर्ज हो चुकी है। इसी तरह एक अन्य मामले में ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव आईपीसी केशरी और मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के एमडी संजय गोयल आचार संहिता उल्लंघन की गाज गिर सकती है।
संबित पात्रा ने 27 अक्टूबर को विशाल मेगा मार्ट के सामने सड़क पर पत्रकार वार्ता की थी। जबकि प्रेस कांन्फ्रेंस की अनुमति भोपाल जिला निर्वाचन कार्यालय ने एसएस उप्पल को एमपी नगर में प्लाट नम्बर एक के पास दी थी।
जिला निर्वाचन अधिकारी ने प्रेस कांफ्रेंस की अनुमति साढ़े 12 बजे के लिए दी थी। यह प्रेसकांफ्रेंस सड़क पर तथा तय शुदा समय के बाद आयोजित की गई थी। इस मामले की शिकायत कांग्रेस के प्रवक्ता जेपी धनोपिया ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय में की थी।
उधर भुवनेश्वर मिश्रा की ओर से वकील यावर खान ने जिला अदालत में एक परिवाद भी दायर किया था। शिकायत के बाद जिला निर्वाचन अधिकारी ने सिर्फ एसएस उप्पल के खिलाफ प्रकारण दर्ज कर लिया था।
इस मामले में कांग्रेस का आरोप था कि भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रेसकांफे्रंस आयोजित की थी, उन्हें कलेक्टर द्वारा बचाया जा रहा है। इन मामले में उन पर भी एफआईआर दर्ज किया जाय।
इसके बाद मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने इस मामले की दोबारा जांच कर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए निर्देश दिए थे।
सीएम के क्षेत्र पर अफसरों की मेहरबानी
आचार संहिता लागू रहने के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के क्षेत्र में ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव आईपीसी केशरी और मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के एमडी संजय गोयल पर काम करने का आरोप है।
आयोग ने इस पर संज्ञान लेते हुए जांच के निर्देश दिए हैं । सूचना का अधिकार आंदोलन के संयोजक अजय दुबे ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से शिकायत की है। इसमें 3 नवंबर के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया है कि 6 अक्टूबर से आचार संहिता लागू होने के बाद आमजन को फायदा देने वाली जनसुनवाई बंद कर दी गई है, पर ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव केशरी और मध्य क्षेत्र कंपनी के एमडी संजय गोयल ने सीएम मानिट में बुधनी विधानसभा क्षेत्र की समस्याओं का निराकरण करने को कहा है।
इसमें बिजली की निर्बाध सप्लाई, बिजली लाइन समेत अन्य दिक्कतों का निराकरण होना शामिल है। इसके साथ ही दुबे ने यह भी कहा है कि 16 अक्टूबर को भी सीएम मानिट के सवालों का निराकरण करने के लिए आदेश दिए गए थे।
इस समय भी आचार संहिता प्रभावी थी। ऐसे में साफ है कि दोनों ही अधिकारी आमजन के लिए भले ही उत्तरदाई नहीं हो, पर सीएम मानिट में आने वाले सीएम क्षेत्र के प्रकरणों को लेकर आचार संहिता लागू रहने के दौरान भी निर्देश जारी कर रहे हैं ।
चुनाव आयोग ने इस मामले में संज्ञान लेकर जांच रिपोर्ट तलब की है।