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नान का निकला दिवाला हर दिन भरना पड रहा 12 करोड रुपए का ब्याज

समर्थन मूल्य खरीदी के चलते नान पर बैंकों का 50 हजार करोड का कर्ज

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Civil Supplies Corporation shipped 87 thousand quintals of rice without investigation

Civil Supplies Corporation shipped 87 thousand quintals of rice without investigation

भोपाल. समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी, परिवहन और उसके भंडारण में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम (नान) की माली हालत दिनों दिन खराब होंती जा रही है। निगम को हर दिन 12 करोड़ रुपए का ब्यांज बैंकों को देना पड़ रहा है। दरअसल, नान पर 50 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है।

नान पर कर्ज में से 30 हजार करोड़ की बैंक गारंटी राज्य सरकार ने दी है और 20 हजार करोड़ अनाज स्टॉक के आधार पर बैंकों से कर्ज लिया गया है। वैसे नान गेहूं खरीदी के लिए हर साल 30 हजार करोड़ बैंकों से लोन लेता है। इसे धीरे-धीरे जमा करता रहता है, लेकिन पिछले दो-तीन सालों में अनाज की बंपर खरीदी के कारण कर्ज ज्यादा हो गया है।

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आकड़ों के मुताबिक नान को प्रतिमाह ब्याज 360 करोड़ रुपये देना पड़ रहे हैं। वर्तमान में नान पर 50 हजार करोड़ नान पर कर्ज है जबकि गोदामो में 2000 लाख टन गेहूं भरा है। 30 लाख टन धान गोदामों में भरा है। वहीं, नान को केन्द्र से 6 हजार करोड और राज्य सरकार से 3 हजार करोड लेना है। दोनों सरकारें राशि नहीं दे रही हैं।

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गोदामों में अनाज
समर्थन मूल्य पर गेहूं-धान की खरीदी भारत सरकार कराती है। इसकी एजेंसी नान है। तीन साल में केन्द्र ने एक लाख टन अनाज का उठाव किया है, जबकि करीब ढाई सौ लाख टन अनाज गोदमों में है। गेहूं भंडारण के लिए केन्द्र 6 महीने का किराया देता है, जबकि नान को गेहूं भंडारण करने के लिए 12 माह का किराया गोदाम संचालकों को देना पड़ता है |

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