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भोपाल

प्रदेश में बनेंगे नये अभयारण्य, होंगे चीतों का दूसरा घर

दरअसल सागर जिले में स्थित नौरादेही और नरसिंहपुर जिले में स्थित वीरांगना दुर्गावती वन्यप्राणी अभयारण्यों को मिलाकर वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व बनाया जा रहा है।

भोपालOct 11, 2022 / 11:31 am

shailendra tiwari

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भोपाल। राज्य सरकार ने मध्य प्रदेश में चीतों का दूसरा ठिकाना विकसित करने की तैयारी शुरू कर दी है। दरअसल सागर जिले में स्थित नौरादेही और नरसिंहपुर जिले में स्थित वीरांगना दुर्गावती वन्यप्राणी अभयारण्यों को मिलाकर वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व बनाया जा रहा है। यह प्रस्ताव बुधवार को यानी कल 12 अक्टूबर को प्रस्तावित मध्य प्रदेश राज्य वन्यप्राणी बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा।

 

ये नए क्षेत्र भी घोषित होंगे अभयारण्य
सैलाना और खरमोर अभयारण्य सरदारपुर का पुनर्गठन किया जा रहा है। दोनों अभयारण्यों में से उस क्षेत्र को डिनोटिफाई किया जाएगा, जहां पिछले 10 साल से खरमोर नहीं देखे गए हैं। वहीं उत्तर सागर वनमंडल को नया अभयारण्य, सामान्य वनमंडल दक्षिण बालाघाट के सोनेवानी वन क्षेत्र को भी अभयारण्य घोषित करने का प्रस्ताव है।

इन्हें टाइगर रिजर्व बनाने पर सहमती
केन-बेतवा लिंक परियोजना में पन्ना टाइगर रिजर्व का बड़ा हिस्सा जा रहा है। इसके बदले वीरांगना रानी दुर्गावती और नौरादेही अभयारण्य को मिलाकर टाइगर रिजर्व बनाने पर सहमति बन चुकी है। इस क्षेत्र को विकसित करने के लिए केंद्रीय जल शक्ति विभाग राशि उपलब्ध करा रहा है। टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्र 2339 वर्ग किलोमीटर हो जाएगा। ऐसा करने से चीतों को ज्यादा क्षेत्र मिलेगा और वे वंशवृद्धि कर पाएंगे। उल्लेखनीय है कि कूनो पालपुर नेशनल पार्क में चीतों की वंशवृद्धि के बाद एवं दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीतों को इसी टाइगर रिजर्व में बसाया जाएगा।

14 गांव के किसानों के खेत होंगे बाहर
धार-झाबुआ जिले में स्थित खरमोर अभयारण्य से 14 गांव की उस भूमि को बाहर किया जा रहा है, जिसमें किसान खेती करते हैं। यह उनकी निजी भूमि है पर खरमोर पक्षी के संरक्षण के लिए इसे मिलाकर अभयारण्य बना दिया गया था। करीब 20 साल से इन ग्रामों के लोग अपने खेतों को अभयारण्य से बाहर करने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि अभयारण्य पर वन्यप्राणी संरक्षण नियम लागू हैं, इसलिए किसान इस क्षेत्र में भूमि बेच और खरीद नहीं पा रहे हैं। वन विभाग ने इसका परीक्षण कराया तो पाया कि इन ग्रामों से सटी अभयारण्य की भूमि में पिछले 10 साल से खरमोर नहीं देखे गए हैं। ऐसे ही हालात रतलाम जिले के सैलाना अभयारण्य के हैं। 1296.541 हेक्टेयर क्षेत्र वाले इस अभयारण्य का 304.35 हेक्टेयर क्षेत्र बाहर किया जा रहा है। इसके बदले 490.39 हेक्टेयर क्षेत्र जोड़ा जा रहा है।

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