अरेरा, ईदगाह और श्यामला हिल्स, कटारा, मनुआभान की टेकरी, चूनाभट्टी, शाहपुरा हिल्स, मेंडोरा, बैरागढ़-चीचली आदि पहाड़ी क्षेत्र रहवासी हो गए हैं। भोपाल में 18 जल संरचनाएं हैं। इनमें विभिन्न माध्यमों से गंदगी मिल रही है।
मनुआभान से लेकर बैरागढ़ की पहाडि़यों की तलहटी एवं ऊपरी हिस्से में कॉलोनियां बन गई हैं। कोलार में दानिश हिल्स, साईं हिल्स समेत तमाम कॉलोनियां पहाड़ों पर हैं।
इन उपायों की दरकार
पहाड़ी व तालाब के पास की जमीन को संवेदनशील श्रेणी में रखकर, नियंत्रण राज्य सरकार को देना चाहिए।
पहाडिय़ों की ढलान पर पौधरोपण कर हरियाली बढ़ानी चाहिए। इससे शहर का पर्यावरण स्वच्छ होगा
घाटियों का उपयोग सरकारी आवास बनाने में होना चाहिए। कोशिश की जाए कि ग्रीन बेल्ट का विस्तार हो।
बिगड़ गया संतुलन
मेपकास्ट के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजेश सक्सेना का कहना है कि पहाडि़यां कटने से बारिश में कमी, गर्मी बढऩा और ठंड का मौसम भी गड़बड़ा रहा है। राजधानी की प्राकृतिक सुंदरता खत्म हो रही है। पर्यावरणीय तौर स्थिति खराब हुई है। खुली पहाडि़यों पर हरियाली इकोलॉजी सिस्टम को दुरुस्त रखती है।
भोपाल का भूगोल
भोपाल पहाड़ी क्षेत्र पर बसा है। ये उत्तर व दक्षिण-पूर्व की ओर ढलान पर है।
पहाड़ी का उभरा हिस्सा द.-प. और उत्तर-पश्चिम की ओर है।
तीन प्राकृतिक ड्रेनेज है।
सही बात है कि बीते सालों में भोपाल की प्राकृतिक संपदा को बड़ा नुकसान पहुंचाया गया है। हम इसे बचाने के लिए गंभीर हैं। संबंधित विभागों से इस बारे में स्थिति स्पष्ट की जाएगी।
जयवर्धन सिंह , मंत्री नगरीय प्रशासन