इसके बाद इस सडक़ पर ट्रैफिक बंद कर दूसरे रूट के लिए काम शुरू किया जाएगा। 211 करोड़ रुपए की लागत वाले लालघाटी-मुबारकपुर रोड पर पांच अतिरिक्त ब्रिज प्रस्तावित हैं। एयरपोर्ट रोड गांधी नगर चौराहे पर बनने वाला फ्लायओवर भी तैयार हो चुका है। यह प्रोजेक्ट का ही हिस्सा है और सिक्सलेन एक्सप्रेस-वे को चौराहे के ऊ पर से गुजरने में मदद करेगा।
जिम्मेदार एक-दूसरे के पाले में डाल रहे गेंद
बावडिय़ाकलां ब्रिज : रेलवे ट्रैक के ऊ पर स्टील गर्डर रखने के बाद काम बंद है। समय-सीमा में तीन बार इजाफा हुआ। इस साल काम पूरा नहीं हो सकेगा। रोजाना फाटक 100 से ज्यादा बार बंद रहता है। ऐसे में वाहन चालक 10 नंबर चौराहे से फ्रेक्चर अस्पताल से सावरकर सेतु के नीचे से गुजरते हुए होशंगाबाद रोड आते हैं। आरओबी बनने के बाद यह गाडिय़ां ब्रिज से गुजरेंगी, जिससे पीसीयू बढकऱ प्रतिदिन 60 हजार वाहन पर पहुंचने का अनुमान है। कटारा हिल्स, दानिश नगर और होशंगाबाद रोड की दो दर्जन कॉलोनियों को इससे गुलमोहर, शाहपुरा, मनीषा मार्केट और कोलार तक लिंक मिलेगा।
चेतक ब्रिज- होशंगाबाद रोड से सटे इलाकों में तेजी से बढ़ रही आबादी के मद्देनजर चेतक को 42 साल बाद 12 से 20 मीटर चौड़ा किया जा रहा है। इसकी समय-सीमा दो बार बढ़ चुकी है। 15 अगस्त को उद्घाटन अधूरे कामों की वजह से टालना पड़ा। दावा है कि सिक्सलेन रिनोवेशन के बाद ज्योति टॉकीज और भेल चौराहे पर ट्रैफिक लोड कम होगा। सावरकर सेतु बनने के बाद यहां ट्रैफिक लोड घटा है। चेतक ब्रिज से एमपी नगर, नया भोपाल, भेल, अलकापुरी, अवधपुरी, कटारा हिल्स सहित होशंगाबाद से आने वाला हैवी ट्रैफिक सुबह से देर रात तक रहता है।
सुभाष फाटक ब्रिज- रेलवे बोर्ड की मंजूरी नहीं मिलने से ट्रैक पर गर्डर लांचिंग नहीं हो पा रही है। इसकी समय-सीमा भी दो बार बढ़ाई जा चुकी है, लेकिन ब्रिज इस साल शुरू नहीं हो सकेगा। 12 मीटर चौड़े ब्रिज से प्रतिघंटा 7 हजार वाहन गुजरेंगे। इस इलाके में फिलहाल पुल बोगदा और सुभाष फाटक के जरिए वाहनों को प्रभात चौक और रायसेन रोड से कनेक्टिविटी मिलती है, जिन्हें नए रेलवे ओवरब्रिज से सीधे प्रभात चौराहे तक डायवर्ट किया जाएगा। फिलहाल फाटक और बोगदा पुल मिलाकर पैसेंजर कार यूनिट कैपिसिटी प्रति घंटा सिर्फ 5 हजार आंकी गई है।
बावडिय़ा और चेतक ब्रिज पर रेलवे का काम पूरा हो चुका है। सुभाष नगर आरओबी पर गर्डर रखने की मंजूरी नहीं आई है, इसलिए देरी हो रही है।
शोभन चौधुरी, डीआरएम