ऐसे किया गया शोध
अध्ययन में शामिल 60 मोटे बच्चों की तीन स्टेज में बीपी मॉनिटरिंग की गयी। बच्चे का बीपी सामान्य रूप से देखा गया। फिर घर पर जांच हुई। अंत में एबीपीएम (एंबुलेटरी रक्तचाप की निगरानी) जांच हुई। बच्चों के हाथ में बेल्ट से बंधी से डिवाईस 24 घंटे तक बीपी नापती रही। अध्ययन के दूसरे भाग में हाई बीपी व समान्य बच्चों के दिल व अन्य अंगों की भी जांच की गई। जिससे कई चौंकाने वाली बात सामने आईं।स्कूल जांच के लिए अनुकूल
बाल चिकित्सा नेफ्रोलॉजी और उच्च रक्तचाप विभाग के डॉ. गिरीश सी. भट्ट ने कनाडाई अध्ययन का संदर्भ देते हुए बताया कि हृदय संबंधी रुग्णता और मृत्यु दर को कम करने के लिए बचपन में प्रारंभिक जांच जरूरी है। जबकि, संस्थान के निदेशक डॉ. अजय सिंह का कहना है कि बच्चों के उच्च रक्तचाप की जांच के लिए स्कूल आदर्श स्थान हैं।