मध्यप्रदेश में पिछले कुछ दिनों से व्यापमं एक बार फिर सुर्खियों में हैं। हाल ही में कांग्रेस ने शिक्षक भर्ती परीक्षा वर्ग 3, आरक्षक भर्ती और कृषि विस्तार अधिकारी के पदों पर हुई परीक्षा में भी घोटाले के आरोप लगाए थे। इसके साथ ही कांग्रेस लगातार आक्रामक हो गई है। इसी सिलसिले में एनएसयूआई ने व्यापमं के दाग को याद दिलाने के लिए पीइबी मुख्यालय का नाम ‘घोटाला घर’ रख दिया। इसके साथ ही चौराहे का नाम ‘घोटाला घर चौराहा’ कर दिया। इसके बोर्ड शनिवार को चर्चा का विषय बने हुए हैं।
भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (nsui) के पदाधिकारी आशुतोष चौकसे ने कहा कि व्यापमं जिसका नाम बदलकर प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (पीइबी) कर दिया गया है। इस संस्थान ने सैकड़ों युवाओं और छात्रों का भविष्य खराब कर दिया है। इसी की वजह से लाखों युवाओं का भविष्य खराब होने की स्थिति में पहुंच गया है। हाल ही में हुई शिक्षक भरी वर्ग-3 की परीक्षा के पेपर लीक होने के बाद इस परीक्षा को निरस्त करने की मांग की गई है। इसके अलावा आरक्षक भर्ती और कृषि विस्तार अधिकारी परीक्षाओं में भी गड़बड़ी के आरोप लगने से यह संस्थान विपक्ष के निशाने पर है।
कई बार बदला नाम
सबसे पहले व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) के नाम से प्रदेश में कई प्रवेश परीक्षा एवं चयन परीक्षाएं ली जाती थीं। मेडिकल परीक्षा, आरक्षक भर्ती परीक्षा जैसे कई परीक्षाओं में घोटाला उजागर हुआ तो देशभर में यह सबसे बड़ा शिक्षा घोटाला बन गया। सरकार ने इसका दाग मिटाने के लिए इसका नाम बदलकर व्यापमं से पीइबी कर दिया। अब यह प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड के नाम से जाना जाता है। इस संस्थान का नाम एक बार फिर फरवरी माह में बदलने की घोषणा की गई। इसका नाम अब ‘कर्मचारी चयन बोर्ड’ कर दिया गया है।
इसलिए बदनाम है व्यापमं
2013 में इसके जरिए होने वाली मेडिकल समेत कई परीक्षाओं में एक के बाद एक कई नकलची पकड़े गए थे। इसमें ऐसे भी लोग थे, जो दूसरे की जगह पर परीक्षा दे रहे थे। तब शिवराज सरकार ने एसआईटी का गठन किया था। फिर जब एक के बाद एक कई छात्रों की मौत होने लगी तो इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी। व्यापमं घोटाले में 100 से अधिक लोगों को सजा हो चुकी है। कई मामलों में अब भी सुनवाई कोर्ट में जारी है। व्यापमं (प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड) राज्य सरकार की एक स्व वित्त पोषित, स्वायत्त निगमित निकाय है। वर्ष 1970 में इसकी शुरुआत मध्यप्रदेश में प्री मेडिकल टेस्ट बोर्ड के रूप में की गई थी। बाद में वर्ष 1981 में, प्री इंजीनियरिंग बोर्ड का गठन किया गया। वर्ष 1982 में, इन दोनों बोर्डों का विलय कर दिया गया और व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) नाम दिया गया।