हालांकि मध्यप्रदेश में इस 65 फीसदी वोटर में सबसे बड़ा हिस्सा अब तक भाजपा को ही मिलता आया है। लेकिन इस बार के विरोध ने संकट खड़े कर दिए हैं। यही वजह है कि जब मुख्यमंत्री पर चप्पल फेंकी गई तो मुख्यमंत्री ने इसे विरोध की ओर मोड़ने की बजाय कांग्रेस की ओर मोड़कर राजनीतिक तौर पर अपनी चाल में कांग्रेस को फंसाने का खेल किया। भाजपा किसी भी कीमत पर यह संदेश पब्लिक में नहीं जाने देना चाहती है कि भाजपा से ओबीसी और सवर्ण नाराज हैं। अगर यह संदेश गया तो सरकार को मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है।
सपाक्स और सवर्ण संगठनों को साधने की कोशिश
सरकार सवर्ण संगठनों की बढ़ती नाराजगी के बीच में लगातार इन संगठनों के बीच तोड़—फोड़ करने में जुटी हुई है। उसने संगठन के कई नेताओं को प्रलोभन से लेकर कई तरह के वादे भी किए हैं लेकिन अभी तक उसे इसमें कामयाबी नहीं मिली है। जिस तरह से मध्यप्रदेश में सवर्ण समाज के कर्मचारी संगठनों का मोर्चा सपाक्स सरकार की खिलाफत में आया है, सरकार मुश्किल में है। इसका नेतृत्व हीरालाल त्रिवेदी कर रहे हैं, जो कभी सरकार के सबसे करीबियों में शुमार होते थे। हालांकि उन्हें भी भाजपा बड़नगर से भाजपा के टिकट पर उम्मीदवार बनाने का प्रलोभन दे चुका है। ऐसे ही दूसरे संगठनों पर भी दांव चले जा रहे हैं।
कांग्रेस एक कदम आगे बढ़ी
कांग्रेस ने एट्रोसिटी एक्ट की गर्मी को भांपने की कोशिश शुरू कर दी है। यही वजह है कि कल मध्यप्रदेश में हुए ब्राहृमण सम्मेलन में शामिल होने आए कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने बड़ा ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा कि देश में अगर कांग्रेस की सरकार आई तो सवर्ण गरीबों को दस फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने कई और भी वादे किए। सुरजेवाला की बात को कांग्रेस सांसद और आदिवासियों के बड़े नेता कांतिलाल भूरिया ने भी आगे बढ़ाया। उन्होंन कहा कि अगर सरकार में कांग्रेस आई तो सवर्ण गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण देने का रास्ता साफ किया जाएगा। कहीं न कहीं कांग्रेस इस विरोध को भुनाने की कोशिश कर रही है।