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भोपाल

भारत बंद से मुश्किल में आई सरकार, चुनावी तैयारियों के बीच बढ़ी टेंशन

ओबीसी और सवर्ण भाजपा का वोटर, नाराजगी पड़ सकती है भारी

भोपालSep 06, 2018 / 11:27 am

shailendra tiwari

shivraj

Chief Minister Shivraj Singh announced the opening of Pan Vikas Nigam

भोपाल . एट्रोसिटी एक्ट को लेकर सवर्णों के भारत बंद ने केंद्र में मोदी सरकार से लेकर मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार के पेशानी पर बल ला दिए हैं। दोनों ही सरकारें इस मुश्किल वक्त में हालातों पर नजर रखे हुए हैं। जिस तरह से मध्यप्रदेश से इस विरोध की शुरुआत हुई है, उसने शिवराज सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। पिछले एक हफ्ते में शिवराज सरकार के मंत्री सार्वजनिक कार्यक्रमों में शामिल नहीं हो पा रहे हैं। हर जगह पर उनका विरोध हो रहा है। काले झंडे दिखाए जा रहे हैं। एक्ट के विरोध में खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर चप्पल फेंकी जा चुकी है। ऐसे में सरकार की टेंशन बढ़ी हुई है। यही वजह है कि खुद मुख्यमंत्री कार्यालय पूरे घटनाक्रम पर नजर रखे हुए है।
दरअसल, मध्यप्रदेश में अगले दो महीने के भीतर विधानसभा चुनाव हैं। इस बीच में एट्रोसिटी एक्ट को लेकर शुरू हुए विरोध ने संकट खड़ा कर दिया है। जिस तेजी से मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार आगे चल रही थी, उसे सवर्णों के इस विरोध ने हाशिए पर ला दिया है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में सरकार को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है। मध्यप्रदेश में अकेले ओबीसी ही 50 फीसदी के लगभग हैं और उसके बाद सवर्ण, अगर इनका आंकड़ा मिला लें तो मध्यप्रदेश की आबादी में 65 फीसदी की भागीदारी सवर्ण और ओबीसी वर्ग की है। खुद मुख्यमंत्री भी ओबीसी से ही आते हैं। ऐसे में इसकी नाराजगी भाजपा के लिए सबसे बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकते हैं।
मुश्किल में 65 फीसदी वोट
हालांकि मध्यप्रदेश में इस 65 फीसदी वोटर में सबसे बड़ा हिस्सा अब तक भाजपा को ही मिलता आया है। लेकिन इस बार के विरोध ने संकट खड़े कर दिए हैं। यही वजह है कि जब मुख्यमंत्री पर चप्पल फेंकी गई तो मुख्यमंत्री ने इसे विरोध की ओर मोड़ने की बजाय कांग्रेस की ओर मोड़कर राजनीतिक तौर पर अपनी चाल में कांग्रेस को फंसाने का खेल किया। भाजपा किसी भी कीमत पर यह संदेश पब्लिक में नहीं जाने देना चाहती है कि भाजपा से ओबीसी और सवर्ण नाराज हैं। अगर यह संदेश गया तो सरकार को मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है।

सपाक्स और सवर्ण संगठनों को साधने की कोशिश
सरकार सवर्ण संगठनों की बढ़ती नाराजगी के बीच में लगातार इन संगठनों के बीच तोड़—फोड़ करने में जुटी हुई है। उसने संगठन के कई नेताओं को प्रलोभन से लेकर कई तरह के वादे भी किए हैं लेकिन अभी तक उसे इसमें कामयाबी नहीं मिली है। जिस तरह से मध्यप्रदेश में सवर्ण समाज के कर्मचारी संगठनों का मोर्चा सपाक्स सरकार की खिलाफत में आया है, सरकार मुश्किल में है। इसका नेतृत्व हीरालाल त्रिवेदी कर रहे हैं, जो कभी सरकार के सबसे करीबियों में शुमार होते थे। हालांकि उन्हें भी भाजपा बड़नगर से भाजपा के टिकट पर उम्मीदवार बनाने का प्रलोभन दे चुका है। ऐसे ही दूसरे संगठनों पर भी दांव चले जा रहे हैं।

कांग्रेस एक कदम आगे बढ़ी
कांग्रेस ने एट्रोसिटी एक्ट की गर्मी को भांपने की कोशिश शुरू कर दी है। यही वजह है कि कल मध्यप्रदेश में हुए ब्राहृमण सम्मेलन में शामिल होने आए कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने बड़ा ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा कि देश में अगर कांग्रेस की सरकार आई तो सवर्ण गरीबों को दस फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने कई और भी वादे किए। सुरजेवाला की बात को कांग्रेस सांसद और आदिवासियों के बड़े नेता कांतिलाल भूरिया ने भी आगे बढ़ाया। उन्होंन कहा कि अगर सरकार में कांग्रेस आई तो सवर्ण गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण देने का रास्ता साफ किया जाएगा। कहीं न कहीं कांग्रेस इस विरोध को भुनाने की कोशिश कर रही है।

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