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भोपाल

स्मार्ट सिटी फिर भी सड़कें खोदकर पता कर रहे जमीन में नर्मदा लाइन या केबल तो नहीं

राजधानी में सरकारी एजेंसियों और ठेका कंपनियों के पास नहीं है ग्राउंड पेनेट्रेटिंग राडार तकनीक

भोपालMar 29, 2019 / 01:36 am

Ram kailash napit

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भोपाल. आपको जानकर हैरानी होगी कि हाइटेक दौर में भी राजधानी में चल रहे कई बड़े प्रोजेक्ट्स की एजेंसियों के पास जमीन के भीतर पुरानी या मौजूदा पेयजल लाइन, डे्रनेज, केबल व अन्य की स्थिति जांचने की सेंसर तकनीक नहीं है। अभी भी जमीनी हकीकत पता करने के लिए अलग से खुदाई की जा रही है। जगह-जगह खुदाई के कारण शहर की सड़कें गड्ढों में तब्दील हो चली हैं। रहवासी धूल के प्रदूषण और जर्जर सड़कों से परेशान हैं। कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। वाहन भी खराब हो रहे हैं। प्रदेश में इंदौर तो अहमदाबाद, जयपुर, मुंबई, दिल्ली, चंडीगढ़ जैसे शहर में ऐसा नहीं होता। वहां जमीन में दस से पंद्रह मीटर भीतर तक कौन सी लाइन, केबल, धातु या चट्टान है, इसकी जांच करने आधुनिक मशीनों से की जा रही है। इन शहरों में ग्राउंड पेनेट्रेटिंग राडार (जीपीआर) के उपयोग से बिना खुदाई पता चल जाता है़ कि पाइप लाइन, केबल जमीन में किस तरफ, कितनी गहराई में है। इसके आधार पर आसानी से प्रोजेक्ट की खुदाई का स्थान और गहराई तय कर ली जाती है। गौरतलब है कि बुधवार को ही बावडिय़ा कलां रेलवे ओवरब्रिज की राह में बाधक बन रही नर्मदा लाइन का पता करने बीआरटीएस को खोद दिया गया।

 

वैज्ञानिक बोलेजब सेंसर है तो खुदाई क्यों?
मेपकास्ट के वैज्ञानिक डीके आर्या का कहना है कि अब ऐसी तकनीक आ गई है कि जमीन में दस से पंद्रह मीटर गहराई तक दबी वस्तुओं, लाइन, केबल की लोकेशन पता की जा सकती है। ग्राउंड पेनेट्रेटिंग राडार से जमीन के अंदर लाइन, केबल के स्टेटस का एड्रेस कर सिग्नल बाहर सिस्टम पर आ जाता है। मेपकास्ट ने नगर निगम, हाउसिंग बोर्ड, विकास प्रधिकारण समेत अन्य एजेंसियों को इसके उपयोग की सलाह दी थी, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।

कोई क्षेत्र ऐसा नहीं जहां परेशानी न हो
– मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए एमपी नगर, साकेत नगर, अवधपुरी में खुदाई की गई। इसमें कई जगह पक्की सड़कें तोड़ी जा रही हैं। मिट्टी परीक्षण के साथ संबंधित स्थान में पाइप लाइन व केबल की जांच भी की जा रही है।
-अमृत प्रोजेक्ट के तहत कोलार डैम से भोपाल तक और शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में फीडर लाइन बिछाने का काम चल रहा है। खुदाई से पहले जमीन के अंदर कोई लाइन या केबल है क्या, इसका पता नहीं लगाया जाता है। एक किमी के दायरे में इसके लिए तीन जगह पर खुदाई की जाती है। कोलार में गेहूंखेड़ा से लेकर जेके हॉस्पिटल और प्रोफेसर कॉलोनी, शाहपुरा क्षेत्र में रहवासियों को खुदाई के कारण समस्या हो रही है।
-बावडिय़ा कलां रेलवे ओवरब्रिज होशंगाबाद की ओर उतर रहा है, यहां नर्मदा की बड़ी लाइन आ रही है। अब लाइन साइकिल ट्रैक के नीचे किस स्थान व कितनी गहराई में है, इसके लिए खुदाई की जा रही है। सुभाष नगर आरओबी व इससे पहले वीर सावरकर ब्रिज के लिए भी ऐसा ही किया गया था।
लोगों को परेशानी न हो, इसका ध्यान रखते हुए काम होना चाहिए। हमने कांट्रेक्टर्स को हिदायत जारी कर रखी है। दिखवा लिया जाएगा कि पालन क्यों नहीं हो रहा है। फिर से निर्देशित करेंगे कि मशीनरी का उपयोग करें। संजय दुबे, पीएस, नगरीय प्रशासन

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