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Exclusive: विकास की आंधी, पर्यावरण की बर्बादीः तीन दशक में 57 फीसदी घट गई हरियाली
पिछले दिनों आस-पास अच्छी बरसात होती रही, लेकिन शहर में फुहारें ही पड़ती रहीं। इसका कारण लगातार पेड़ों की कटाई और कॉन्क्रीट के जंगल के अलावा कुछ और नजर नहीं आता। यहां बादल तो आए लेकिन बरसे नहीं, इस तरह की स्थिति पहले नहीं बनती थी। अपने नौनिहालों का भविष्य उज्ज्वल देखना चाहते हैं तो तत्काल पौधे रोपना और उन्हें पेड़ बनाना ही एकमात्र विकल्प रह गया है। अभी नहीं तो कभी नहीं…याद रखना।