मिर्ची बाबा उर्फ वैराग्यनंद गिरी का असली नाम राकेश दुबे है। उसका छोटा भाई भी संन्यासी है। मिर्ची बाबा मूल रूप से भिंड जिले के गोहद नेशनल हाईवे से 6 किमी दूर गांव बिरखड़ी का रहने वाला है। मिर्ची बाबा के जेल जाने के बाद की गई पड़ताल में कई चौकाने वाली बातें सामने आ रही हैं।
गुजरात से मिर्ची बाबा बनकर लौटा राकेश
मिर्ची बाबा के मूल गांव बिरखड़ी से मिली जानकारी के अनुसार, चार भाइयों में तीसरे नंबर का राकेश दुबे 1995 जिले की ही एक ऑयल मिल में तेल निकालने का काम करता था। 1997 में वो गांव के सहसराम जादौन के यहां ऑयल मिल में काम करने लगा। यहां भी उसका मन नहीं लगा तो उसने पुरखों से मिली अपने हिस्से की 4 बीघा जमीन बेचकर बिजनेस की प्लानिंग के लिए ट्रक खरीदा। घाटा हुआ तो ट्रक बेचकर गुजरात के अहमदाबाद चला गया। यहां उसने एक फैक्टरी में तेल निकालने का काम किया। लेकिन, जब वो गुजरात से वापस मध्य प्रदेश लौटा तो मिर्ची बाबा बन चुका था।
तीन साल बाद मिर्ची बाबा बन गया
राकेश ने अहमदाबाद की फैक्ट्री में कुछ समय तक काम किया। इसके बाद वो वहां से भी गायब हो गया। इसके बाद वर्ष 2000 में राकेश प्रदेश के इंदौर में अपने क्षेत्र के एक ट्रक ड्राइवर से मिला, लेकिन जब वो अपनी पहचान बदल चुका था। उसका नाम वैराग्यनंद गिरि उर्फ मिर्ची बाबा हो चुका था। वो मिर्च की धूनी जलाते हुए पूजा करता था।
फिर शुरु की भागवत कथा
2013-14 में एक दिन अचानक वो अपने गांव के पास वाले सौंध गांव में भागवत का आयोजन करने पहुंचा। बताया जाता है कि, यहीं उसने सबसे पहली बार भागवत की थी। इसके बाद वो भिंड, मुरैना, ग्वालियर में घूम-घूमकर भागवत करने लगा। यहीं से वो कांग्रेस और भाजपा नेताओं के संपर्क में रहने लगा था।
कमलनाथ सरकार में मिला था राज्यमंत्री का दर्जा
मिर्ची बाबा भागवत के अलावा गोशाला भी चलाता है। 2018 के विधानसभा चुनाव के समय वह पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और कमलनाथ से जुड़ गया था। कांग्रेस सत्ता में आई तो उसे राज्यमंत्री का दर्जा मिल गया। कमलनाथ और दिग्विजय से वह मोबाइल का स्पीकर ऑन कर बात करता था। इसका असर ये हुआ कि भिंड, मुरैना और ग्वालियर के कई कांग्रेसी नेता उसके आगे-पीछे चलने लगे।
पिता की तेरहवीं में दिखाई थी ताकत
2018 में मिर्ची बाबा के पिता का निधन हुआ तो उसने तेरहवीं में 20 हजार से अधिक लोगों को भोज कराया था। इस तेरहवीं कार्यक्रम में प्रदेश सरकार के कई मंत्री और विधायक भी आए थे। लोकसभा चुनाव 2019 में मिर्ची बाबा ने दिग्विजय सिंह को जिताने साधु-संतों की टीम उतार दी थी। इस दौरान उसने 500 किलो मिर्च से हवन कराकर सुर्खियां बटोरीं थीं। इसके बाद उसने ये तक कहकर चारों ओर चर्चा हासिल कर ली थी कि, अगर दिग्विजय नहीं जीते तो वो जल समाधि ले लेगा। हालांकि, दिग्विजय सिंह के हारने के बाद जल समाधि की बात से पलटने पर उसकी काफी किरकिरी भी हुई थी।
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