ये समितियां आदिवासियों में दुव्र्यसन छोडऩे और अच्छी आदते डालने का भी काम करेंगी। इस समितियों को पांच करोड़ 86 लाख से अधिक बजट रखा गया है। ये समितियां 20 आदिवासी जिलों के विभिन्न ब्लाकों में पहले से काम कर रही हैं।
आदिम जाति कल्याण विभाग ने आदिवासी बच्चों को स्कूल भेजने से लेकर सरकार की प्रत्येक योजनाओं की जानकारी आदिवासियों तक पहुंचाने का काम वनवासी और आदिवासी समितियों को दिया है। जिन क्षेत्रों में विभिन्न योजनाओं को लेकर सरकारी अमला नहीं पहुंच पा रहा है, वहां समितियां काम करेंगी।
सरकार तथा आदिवासियों के बीच में ये सेतु का भी काम करेंगी। सरकार के पास आदिवासियों की बाते भी पहुंचाने का प्रयास करेंगी। सरकार के अभियान में बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ, सब को शिक्षा, स्कूल चले अभियान, सब को स्वास्थ्य, साफ-सफाई, टीकाकरण जैसे अन्य अभियानों के लिए इन समितियों की मुख्य भूमिका होगी। इन समितियों को 50 हजार रुपए से लेकर 50 लाख रुपए तक अनुदान दिया जाएगा।
कार्यों का होगा मूल्यांकन समितियों के कार्यों का स्थानीय स्तर पर मूल्यांकन किया जाएगा। आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारी मैदानी स्तर पर भ्रमण कर यह देखेंगे कि समितियां किन-किन क्षेत्रों में काम कर रही है। इसके कार्यों का आदिवासियों पर कितना असर हो रहा है। सरकार की योजनाओं को नीचे तक पहुंचाने और लोगों को उसका लाभ दिलाने में समितियों का कितना योगदान है।
20 समितियां चला रही हैं स्कूल