अधिकारी ने छुपाई थी जानकारी
इस मामले में आवेदक राशिद जमील खान ने 2015 में RTI के अंतर्गत राजगढ़ जिले के ब्यावरा नगर पालिका में निर्माण कार्य की क्वालिटी चेक टेस्ट रिपोर्ट और रिपोर्ट देने वाली प्रयोगशाला के नाम की जानकारी मांगी थी। लेकिन, वो आवेदन अधिकारियों की लापरवाही की भेंट चढ़ गया।
ऐसे उजागर हुई लापरवाही
इस मामले सूचना आयोग में 8 सुनवाइयां हुईं, जिसमें से सिर्फ दो मामलों में अधिकारी इकरार अहमद उपस्थित हुए। 2017 में इस मामले में आयोग ने इकरार अहमद के खिलाफ 25 हजार रुपए अर्थदंड वसूली के आदेश जारी किए। उसके बाद भी जुर्माने की रकम जमा नहीं की गई। अपीलकर्ता तीन बार आयोग में आदेश का पालन कराने के लिए अर्जी भेज चुके थे।
अनदेखी से नाराज हुए सूचना आयुक्त
अपीलकर्ता रशीद जमील खान जब तीसरी बार अपनी अर्जी लेकर सूचना आयुक्त राहुल सिंह से मिले, तो उन्होंने इस प्रकरण पर तुरंत कार्रवाई के निर्देश दे दिए।
पिछले 4 साल से चल रहे इस प्रकरण को सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने उस ढर्रे की मिसाल बताया है जो सूचना के अधिकार कानून की भावना के विपरीत कार्य करते हैं। साथ ही उन्होंने आयोग के आदेश की अवहेलना को बेहद गंभीर विषय करार देते हुए कहा कि इस मामले में सूचना के अधिकार कानून की घोर अवहेलना की गई है और इसमें शासकीय कर्मचारी की ओर से सेवा शर्तों के विपरीत अपने कर्तव्यों के पालन में लापरवाही साफ झलकती है।
दोषी अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई
सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने दोषी लोक सूचना अधिकारी इकरार अहमद को सूचना का अधिकार कानून के प्रति लापरवाही बरतने के लिए उनके खिलाफ अनुशासनिक और विभागीय कार्रवाई के लिए भी प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन संजय दुबे को निर्देशित किया है। इसके साथ ही इकरार अहमद के वेतन से 50 हजार रुपए अर्थदंड काटकर आयोग में 30 दिन के भीतर जमा कराने के लिए कहा है। इसके लिए आयुक्त ने संजय दुबे की जवाबदेही भी तय की है।
राज्य सूचना आयुक्त के अन्य फैसले