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भोपाल

जल्द पूरा होगा भोपाल का सफर, कम लगेंगे 21 मिनट

राजधानी भोपाल के लिए ट्रेनों का सफर अब और आसान हो गया है। भोपाल का सफर अब जल्द पूरा होगा। तीसरी रेल लाइन बनने से यह सुविधा मिलेगी। बरखेड़ा-बुदनी रूट पर नई रेल लाइन से 75 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से यात्री ट्रेन को चलाने की अनुमति मिल चुकी है जिससे यात्रियों का खासा समय बचेगा।

भोपालDec 11, 2023 / 08:59 pm

deepak deewan

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भोपाल का सफर अब जल्द पूरा होगा।

राजधानी भोपाल के लिए ट्रेनों का सफर अब और आसान हो गया है। भोपाल का सफर अब जल्द पूरा होगा। तीसरी रेल लाइन बनने से यह सुविधा मिलेगी। बरखेड़ा-बुदनी रूट पर नई रेल लाइन से 75 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से यात्री ट्रेन को चलाने की अनुमति मिल चुकी है जिससे यात्रियों का खासा समय बचेगा।
रेलवे अधिकारियों के अनुसार तीसरी रेलवे लाइन शुरू होने से यात्रियों के समय की बचत होगी। इससे इटारसी से भोपाल आने वाली ट्रेनें अब 21 मिनट पहले पहुंचेंगी। अभी तक पहाड़ी दुर्गम रास्ते की वजह से ट्रेनों को यहां कॉशन पर चलाया जाता था, इसमें समय लगता था। तीसरी रेलवे लाइन जंगल, पहाड़ और रेलवे ओवर ब्रिज की सहायता से सीधी बनाई गई है जिस पर ट्रेनें ज्यादा स्पीड से चल सकेंगी। मालगाड़ियों को भी देर तक प्रतीक्षा नहीं करनी होगी, उनको भी तेजी से ग्रीन सिग्नल मिल सकेगा।
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पश्चिम-मध्य रेलवे का भोपाल-इटारसी मार्ग भारतीय रेलवे का महत्वपूर्ण खंड है। इस रूट पर भारी मात्रा में यात्री और माल यातायात की ट्रेनें निकलती हैं। यह उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम ट्रंक मार्गों पर कार्य करता है। ट्रेनों का ये यातायात उत्तर-दक्षिण, दिल्ली-झांसी-बीना-भोपाल-इटारसी-नागपुर से चलता है। इसी प्रकार बिहार, झारखंड और यूपी से गुजरात की ओर जाने वाला पूर्व-पश्चिम यातायात इलाहाबाद, जबलपुर, इटारसी, भोपाल और नागदा से होकर जाता है।
बीना से भोपाल एवं भोपाल से इटारसी के बीच 233 किलोमीटर लंबी तीसरी रेलवे लाइन का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। बरखेड़ा से बुदनी स्टेशन के बीच रेल लाइन पर यात्री ट्रेन को 95 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलाकर रेलवे ट्रैक का परीक्षण भी कर लिया गया है। रेलवे ट्रैक ठीक पाया गया है जिसके बाद इस सेक्शन में 75 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से यात्री ट्रेन को चलाने की अनुमति जारी कर दी गई है।
इस रूट में 13 प्रमुख पुल, 49 छोटे पुल एवं 7 सुरंगें है। निर्माण में वाइल्ड लाइफ बोर्ड की सख्त शर्तों का पालन किया गया है। यह क्षेत्र इको सेंसटिव जोन के अंतर्गत आता है, इसलिए यहां का निर्माण कार्य धीमी गति से किया गया ताकि वन्यजीवों का जैविक संतुलन बना रहे।

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