श्रावण माह को सावन के महीने के रूप में भी जाना जाता है। इस दौरान पड़ने वाले सभी सोमवार को व्रत के लिए बहुत ही खास माना जाता है जिन्हें श्रावण सोमवार और सावन सोमवार व्रत के नाम से जाना जाता है। पड़ित शर्मा के अनुसार बहुत से भक्त श्रावण माह के पहले सोमवार से 16 सोमवार के व्रत शुरू करते हैं। क्योंकि 16 सोमवार के व्रत श्रावण के पहले सोमवार से ही प्रारंभ किया जाता है।
हिंदू पचांग के अनुसार इस बार सावन 30 दिनों का होगा, क्योंकि इस साल अधिकमास यानी मलमास का महीना लगा था। ज्योतिषीय दृष्टि से ऐसा होना बेहद शुभ माना जाता है। हालांकि शिव भक्तों के लिए सावन का महीना हमेशा ही अहम होता है, लेकिन इस बार ज्योतिषीय दृष्टि से इस महीना का खास महत्व है।
सावन महीने के साथ ही हिन्दू पंचांग के अनुसार त्योहारों का मौसम शुरू हो जाता है। इसी महीने में भाई बहनों का त्योहार रक्षा बंधन का त्योहार भी आता है। इस बार रक्षा बंधन 26 अगस्त को है।
मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति की शादी नहीं हो रही है और बार-बार रिश्ता जुड़कर टूट जाता है, तो ऐसे लोगों को सावन का सोमवार व्रत जरूर करना चाहिए। भगवान शंकर और मां पार्वती की कृपा से भक्त की जल्दी ही शादी हो जाती है और इच्छानुरूप वर या वधु प्राप्त होते हैं।
दिनांक – दिन – पर्व
28जुलाई 2018 – शनिवार – सावन माह का पहला दिन
30जुलाई 2018 – सोमवार – सावन सोमवार व्रत
06अगस्त 2018 – सोमवार – सावन सोमवार व्रत
13अगस्त 2018 – सोमवार – सावन सोमवार व्रत
20अगस्त 2018 – सोमवार – सावन सोमवार व्रत
26अगस्त 2018 – रविवार – सावन माह का अंतिम दिन
सावन सोमवार के व्रत करने के लिए सबसे पहले यह तय करें कि आपको कौन सा व्रत करना है। सोमवार का तीन प्रकार का व्रत होता है। पहला सोमवार, दूसरा सोलह सोमवार और तीसरा सौम्य प्रदोष। सोमवार व्रत की विधि सभी व्रतों में समान होती है। इस व्रत को सावन माह में आरंभ करना शुभ माना जाता है।
1. सावन के सोमवार के दिन तीसरे पहर में उठे, सूर्य उगने से पहले, घर की सफाई और स्नान आदि करें।
2. स्नान के बाद पूरे घर में गंगा जल का छिड़काव करें।
3. घर के मंदिर में या साफ सुथरी जगह पर भगवान शंकर और मां पार्वती की मूर्ति की स्थापना करें।
4. अगर मूर्ति या फोटो पहले से है तो उसे साफ करें।
5. तैयारी करने के बाद इस मंत्र का जाप करें:
‘मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमव्रतं करिष्ये’
6. इसके बाद इस मंत्र से ध्यान करें-
‘ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्।
पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम्॥
8. पूजन के बाद व्रत कथा सुनें और उसके बाद आरती करें।
9. प्रसाद बाटें और भोजन या फलाहार ग्रहण करें।