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भोपाल

वर्क फ्रॉम होम से 41 फीसदी लोगों की रीढ़ हुई कमजोर

स्पाइन यानी रीढ़ को होने वाला किसी भी तरह का नुकसान शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रुप से परेशान करता है…

भोपालOct 17, 2021 / 07:45 pm

Shailendra Sharma

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भोपाल. कोरोना काल में शुरु हुए वर्क फ्रॉम होम के कल्चर का साइड इफेक्ट सामने आने लगा है। एक रिसर्च के मुताबिक वर्क फ्रॉम होम करने वाले 41 फीसदी लोग पीठ दर्द की समस्या से ग्रसित हैं। इतना ही नहीं 23 फीसदी लोगों ने गर्दन दर्द की शिकायत की है। वर्क फ्रॉम होम के दौरान लगातार बैठकर काम करने के कारण लोगों को इन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जानकार बताते हैं कि अगर सिटिंग के हर घंटे के बाद 6 मिनिट की वॉक की जाए तो सिटिंग के कारण होने वाले रीढ़ की हड्डी के नुकसान से बचा जा सकता है।

 

स्पाइनल डिसीज से ये पड़ता है असर
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ का शोध बताता है कि स्पाइन में गड़बड़ी का असर इंसान पर शारीरिक और भावनात्मक दोनों रुप से पड़ता है। अगर लगातार सिटिंग से रीढ़ की हड्डी को होने वाले नुकसान से बचना है तो हर घंटे की सिटिंग के बाद 6 मिनिट तक वॉक करना चाहिए। इसके अलावा रोजाना चाइल्ड पोज, कैट और काऊ पोज जैसे योगासन करके भी रीढ़ को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।

 

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पीठ में दर्द की शिकायत- वर्क फ्रॉम होम के दौरान लगातार झुककर बैठने से स्पाइन की पर असर पड़ता है। मूबमेंट कम होने के काऱण स्पाइन के आसपास के लिगामेंट भी टाइट हो जाते हैं इसके कारण स्पाइन की फ्लेक्सेबिलिटी घटती है और पीठ दर्द होने लगता है।

 

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ब्रेन फॉग की शिकायत- काफी देर तक सिटिंग करने के कारण बॉडी में मूवमेंट न होने के कारण मस्तिष्क में पहुंचने वाले रक्त और ऑक्सीजन की मात्रा घटती है जिससे सोचने की क्षमता प्रभावित होती है। इसके साथ ही लंबे समय तक बैठे रहने से न्यूरोप्लास्टिसिटी प्रभावित होती है और न्यूरॉन्स की एक्टिविटी भी कमजोर होती है जिसके व्यक्ति भावनात्मक रूप से कमजोर होता है और डिप्रेशन बढ़ता है।

 

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लंबी सिटिंग से प्रभावित होता है रक्त प्रवाह- जानकार ये भी बताते हैं कि लंबी सिटिंग से ग्लूट्स में ब्लड सर्कुलेशन बाधित होता है। ग्लूट्स स्पाइन को सपोर्ट करने वाली प्रमुख मांसपेशी होती है और इसके प्रभावित होने से कंधे, पीठ और गर्दन में दर्द की समस्या बढ़ती है।

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