
राजधानी के आसपास विचरण कर रहे बाधिन के चार शावकों का जल्द ही नामकरण होने वाला है। इनके शरीर पर धारियों के आधार पर इन्हें नाम दिया जाएगा। इसका निर्धारण वन अनुसंधान संस्थान देहरादून से तय होना है। जानकारी वन विभाग जुटाकर संस्थान को भेजेगा। बाघिन टी के चार और शावक वयस्क होकर यहां से अपनी टेरेटरी में चले गए हैं, एक बाघ-टी-1234 भोपाल के आसपास ही है, पिछले साल उसने मैनिट में डेरा डाल लिया था। अब ये 'टी' की सीरिज से देश में जाने जाएंगे।
ऐसी है वंशावली भो पाल और आस-पास बाघ टी-1 और टी-2 की पांच पीढ़ी यहां के वनों में ही जन्मी और पली बड़ी हैं, वन विभाग के पास इनके माता-पिता के अलावा चार शावक पूर्व के और चार ये अभी के। इस तरह टी फैमिली का इतना ही रिकॉर्ड है। योंकि शावक वयस्क होने के बाद अपनी टेरेटरी तलाशते हुए अलग हो जाता है। भोपाल के बाघों के नाम के साथ बीटी कैटेगरी देने की बात भी चल रही है, इसका कारण ये है कि टी कैटेगरी में रातापानी के बाघ हैं। लेकिन भोपाल में जन्मे शावकों के नाम के आगे बीटी लगाने की चर्चा भी है।
अभी यहां हो रहा है मूवमेंट
शावक अभी मां के साथ हैं लेकिन पहले से बड़े हो गए हैं। इनकी उम्र करीब डेढ़ साल बताई जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा के लिए पेट्रोलिंग टीम से लेकर अन्य इंतजाम कर रखे हैं। वनों में बीच बीच में ट्रैप कैमरे भी लगा रखे हैं, जिसकी मॉनीटरिंग कंट्रोलरूम में की जा रही है।
नर और मादा की भी अभी नहीं हो सकी पहचान
चा र शावकों में कितने नर और मादा अभी यह पहचान भी अभी नहीं हो सकी है। वन अ धिकारियों ने बताया सामान्य रूप से चेहरे को देखकर इसे बताया जाता है। मादा का चेहरा पतला होता है तो वहीं नर का इसके मुकाबले थोड़ा चौड़ा।
शावकों के नामकरण प्रक्रिया चल रही है। धारियों के आधार पर इसका निर्धारण होता है। रिपोर्ट तैयार कर देहरादून संस्थान को भेजी जा रही है, वहीं से नाम तय होगा।
- आलोक पाठक, वन अधिकारी भोपाल
Updated on:
10 Mar 2024 08:09 am
Published on:
10 Mar 2024 08:07 am
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