इससे एक ओर सरकारी धन की बर्बादी हो रही है, वहीं खास लोगों को श्रेष्ठता का बोध होता है। पिछले दिनों कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में बैठक में इस पर सुझाव दिया। इसे सैद्धांतिक रूप स्वीकार कर लिया है। नई सरकार की प्राथमिकता में यह होगा।
विदेशों में होता है ऐसा
इस संबंध में सुझाव देने वाले जयपुर के पृथ्वी सिंह कंधल का कहना है, विशिष्ट संस्कृति की यह प्रथा भारत में ही दिखती है। अमरीका, यूरोप, चीन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी वीआईपी सहित सभी लोग टोल का भुगतान करते है। बाद में यात्रा व्यय के रूप में राशि का दावा करते हैं। दिया गया यह तर्क
- टोल पर शुल्क में छूट वाले 22 विशिष्ट श्रेणी के लोगों को छूट वाले फास्टैग दिए जा चुके हैं। होर्डिंग की जरूरत नहीं।
- इस व्यवस्था का दुरुपयोग हो रहा है। कई टोल पर विशिष्ट श्रेणी के वाहनों के साथ काफिला भी छूट का लाभ ले लेता है।
- कई बार टोल पर विवाद की स्थिति बनती है। इससे यह खत्म होगा।