
विश्व धरोहर की सूची में शामिल सांची बौद्ध स्तूप के पास है यह वीवीआइपी पेड़।
vvip tree of india: क्या इंसानों की तरह किसी पेड़ का भी स्वास्थ्य परीक्षण होता है। क्या उद्यानिकी विभाग किसी पेड़ की ऐसी जांच करता है। क्या कोई पेड़ इतना खास हो सकता है कि उसके लिए 24 घंटे सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाते हैं।
जी हां, मध्यप्रदेश में एक पेड़ ऐसा ही है, जिसे लोग वीवीआईपी पेड़ (India’s first VVIP tree) के नाम से जानते हैं। यह पेड़ इतना खास है कि 24 घंटे सुरक्षाकर्मी यहां पहरा देते हैं। हर साल 12 लाख रुपए इसके मेंटेनेंस पर खर्च होता है, जो खर्च सरकार करती है। पेड़ की इतनी खातिरदारी से यही संदेश जाता है कि पेड़ हमारे जीवन के लिए और पर्यावरण के लिए कितने कीमती हैं।
patrika.com पर पेश है ऐसे ही एक पेड़ की कहानी, जो कहीं न कहीं पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश देता है...।
धार्मिक आस्था के साथ ही किसी पेड़ की रक्षा करना हमें सिखाया जाता है। यहां तक कि स्कूली बच्चों और पर्यटकों को भी यही संदेश दिया जाता है। इस पेड़ के बारे में बताया जाता है कि यहां पत्ता भी टूटता है तो प्रशासन की चिंता बढ़ जाती है। इतनी व्यवस्थाओं के कारण ही यह पेड़ अब देश में वीवीआइपी पेड़ के नाम से जाना जाता है।
मध्यप्रदेश के भोपाल (bhopal) और विदिशा (vidisha) के बीच एक पहाड़ी पर इस पेड़ को सुरक्षित रखा जाता है। यह स्थान यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल (UNESCO World Heritage Site), सांची बौद्ध परिसर (Sanchi Buddhist complex) से पांच किलोमीटर दूर स्थित है। इस खास पेड़ की देखरेख उद्यानिकी विभाग, राजस्व विभाग, पुलिस विभाग और सांची नगर परिषद मिलकर करते हैं। इसके लिए खाद, नियमित पानी की व्यवस्था आदि भी प्रशासन की तरफ से की जाती है। सुरक्षा की दृष्टि से इस पेड़ के चारों तरफ 15 फीट ऊंची जालियां लगाई गई हैं। प्रशासन के यह विभाग अपने-अपने स्तर पर जिम्मेदारी निभाते हैं। 24 घंटे सुरक्षाकर्मी भी तैनात रहते हैं। हर साल सरकार इस पेड़ को सहेजने के लिए 12 लाख से अधिक खर्च करती है।
सामान्य तौर पर लोग इसे पीपल का पेड़ मानते हैं, लेकिन इसकी कड़ी सुरक्षा को देख उनके दिमाग में यह प्रश्र जरूर उठता है कि इस पेड़ की इतना खास क्यों हैं? 15 फीट ऊंची जालियों से घिरा और आस-पास खड़े पुलिस के जवानों को देख यह पेड़ किसी वीवीआईपी की तरह ही लगता है। इसकी इतनी सुरक्षा और उसके स्वास्थ्य का ख्याल जब सरकार रखती है तो लोग इसे वीवीआईपी पेड़ कहा जाने लगा। पर्यटक भी इस पेड़ को देखने के लिए जरूर आते हैं।
Updated on:
22 Apr 2024 09:14 am
Published on:
05 Jun 2021 10:01 am
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